हर छठवें दिन होता है ट्रेन एक्सीडेंट

आरटीआई के तहत रेल मिनिस्ट्री से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले छह साल में नॉर्दन रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने के 49 मामले, पूर्व मध्य रेलवे में 47 मामले, मध्य रेलवे में रेल हादसों के 35 मामले, पूर्व तटीय रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने के 35 मामले, उत्तर सीमांत रेलवे में रेल हादसों के 33 मामले सामने आए हैं. चौंकाने  और चिंता में डालने वाली बात यह है कि लगभग हर छठवें दिन एक ट्रेन हादसा होता है.

खान-पान भी है बड़ी प्रॉबल्म

रेल से ट्रैवेल करने वालों के बीच यह सोच आम है कि ट्रेन में अच्छा खाना नहीं मिलता. इसलिए लोग ट्रेन में घर का खाना लेकर चलना पसंद करते हैं. बहुत सी ट्रेनों में तो पैंट्री तक नहीं होती.  सुप्रीम कोर्ट ट्रेनों में खराब खाना मिलने के बारे में एक पेटीशन पर सुनवाई करते हुए रेल मिनिस्ट्री और हेल्थ मिनिस्ट्री को नोटिस तक दिया था. स्पेशल प्रीमियम ट्रेनों के लिए सबस ज्यादा किराया लेने के बावजूद लोगों की सेफ्टी और खानपान की कंडीशन काफी खराब है. यात्रियों की सबसे बड़ी चिंता ट्रेनों के काफी देर से डेस्टिनेशन तक पहुंचने की है. ठंड और फॉग के दौरान ट्रेनों की सही टाइम पर आवाजाही भी बड़ी प्रॉबल्म है. रेल मिनिस्ट्री से मिली जानकारी के मुताबिक, कोहरे और ठंड के मौसम में ट्रैक पर सिंग्लन एवं संकेत के लिए आज भी डेटोनेटरों का सहारा लिया जाता है. इसके अलावा फौग लैम्पों का भी यूज किया जा रहा है.

छह साल में हुए 429 ट्रेन एक्सीडेंट्स

आरटीआई से मिली जानकारी में पता चला कि साल 2007 से 2012 के बीच करीब छह वर्ष के दौरान देश में ट्रेनों के पटरियों से उतरने और एक्सीडेंट्स 429 घटनाएं सामने आई हैं. इनमें 123 लोगों की मौत हुई और 851 लोग इंजर्ड हुए हैं. ट्रेनों में मच्छर, तिलचट्टों, चूहों की समस्या की बात भी लगातार सामने आ रही है.

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