1. राहुल गांधी
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी जल्द ही पार्टी की कमान अपने हाथों में ले सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संकेत दे दिया है, दिवाली के बाद राहुल को पार्टी अध्यक्ष बना दिया जाएगा। आपको बताते चलें कि राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग पार्टी में ही काफी दिनों से उठ रही है। सारे कांग्रेसी नेता मानते हैं कि अब राहुल को पार्टी का मुखिया बना देना चाहिए। दो साल बाद लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में राहुल अभी से रण की तैयारी कर लें।
भारतीय राजनीति में जब-जब बेटों ने संभाली पार्टी की कमान
2. अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो बगावत कर पार्टी की अध्यक्ष पद की कुर्सी हासिल की है। यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले पिता मुलायम सिंह यादव और बेटे अखिलेश के बीच काफी मनमुटाव हुआ। सपा पार्टी का मुखिया कौन है, इसको लेकर बाप-बेटे में खींचतान रही। वैसे भी इतने सालों तक सपा के अध्यक्ष रहे मुलायम को कभी न कभी अपनी कुर्सी बेटे को सौंपनी ही थी। फिलहाल सपा की कमान अखिलेश के हाथों में है और सपा नेताओं को पूरी उम्मीद है कि मुलायम की तरह अखिलेश भी सपा को काफी आगे तक ले जाएंगे।
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3. नवीन पटनायक
ओडिशा में लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभालने वाले नवीन पटनायक ने 17 साल पहले पिता की मृत्यु के बाद राजनीति में कदम रखा था। उनके पिता बीजू पटनायक भी ओडिशा के कद्दावर नेता थे। साल 1997 में बीजू पटनायक के निधन के ठीक एक साल बाद नवीन पटनायक ने अपने पिता के नाम पर 'बीजू जनता दल' पार्टी की स्थापना की। इन सालों में नवीन ने सिर्फ यह साबित नहीं किया कि वह अपनी पिता की विरासत को संभालने के योग्य हैं, बल्कि उन्होंने खुद को देश के सबसे लोकप्रिय और करिश्माई नेता के रूप में भी स्थापित किया। नवीन पटनायक ने 11वीं लोकसभा में जनता दल के टिकट पर अस्का लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता। यह उनके पिता की पारंपरिक सीट थी, इसके बाद उन्होंने कभी मुड़ कर पीछे नहीं देखा।
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4. ओम प्रकाश चौटाला

हरियाणा की राजनीति भी वंशवाद से अछूती नहीं है। यहां चौटाला खानदान बड़े नामों में से एक है। जमींदार घराने में पैदा हुए चौधरी देवी पहले मुख्यमंत्री बने और बाद में देश के उप-प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। देवी लाल अपने घर से राजनीति में आने वाले पहले शख्स थे। राजनीति के दांव-पेंच सीख चुके देवी लाल ने बाद में अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को आगे बढ़ाया। देवी लाल अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन ओम प्रकाश हरियाणा के मुख्यमंत्री तक बने। इस वक्त ओम प्रकाश चौटाला के दोनों बेटे। अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला हरियाणा की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं।
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5. उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र में भी सियासत का पहिया पीढ़ी दर पीढ़ी घूम रहा है। शिवसेना प्रमुख रहे बाल ठाकरे ने वंशवाद को आगे बढ़ाया। बेटे उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंपने पर वो इस कदर अड़े की भतीजे राज ठाकरे को पार्टी ही छोड़नी पड़ी। अब तो ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी। यानि आदित्य ठाकरे ने भी सियासत में पैर जमाना शुरू कर दिया है। इस पार्टी में भी आखिरी फैसला सिर्फ और सिर्फ ठाकरे परिवार ही ले सकता है।
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