पंडित राहुल गांधी
गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेसी नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसका एक बड़ा अनोखा उदाहरण दिल्ली में अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय के सामने एक होर्डिंग में देखने को मिला है। इस होर्डिंग में राहुल गांधी को पंडित राहुल गांधी लिखा है। उनके नाम के आगे पंडित शब्द एक बार ही नहीं बल्कि दो बार लगाया गया है। कार्यकर्ताओं की ओर से इस होर्डिंग में राहुल गांधी को पंडित राहुल गांधी कहते हुए कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनने की बधाई भी मिल रही है। इतना ही नहीं एक ओर सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा के चित्र तो दूसरी ओर अलग-अलग धर्मों के भगवानों के चित्र भी लगे हुए हैं। जिसमें सभी भगवान राहुल को आशीर्वाद दे रहे हैं। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। राहुल गांधी का पूरा परिवार धर्म निरपेक्ष होने का इशारा करता है।
दादा-दादी के धर्म अलग
राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी पारसी थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू कश्मीरी पंडित थे लेकिन उनकी बेटी फिरोज से उन्हें बेपनाह मोहब्बत करती थी और शादी करना चाहती थी। पंडित नेहरू इसके लिए तैयार नहीं थे लेकिन जब गांधी जी उन्हें समझाया और अपना सरनेम फिरोज को दिया तब नेहरू जी तैयार हुए थे। इसके बाद इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू इंदिरा गांधी बन गईं। हालांकि उन्होंने अपने पिता का मजहब ही अपनाए रखा।
मां-पिता के धर्म भी अलग
राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी ने भी अपने मां के हिंदू धर्म को ही अपनाया लेकिन प्यार-मोहब्बत को तो मजहबी दीवारों में तो कैद नहीं किया जा सकता। गांधी परिवार में एक बार फिर मोहब्बत ने मजहब की दीवारें गिरा दीं और राजीव ईटली की एक ईसाई परिवार की युवती सोनिया पर फिदा हो गए। मोहब्बत परवान चढ़ा और दोनों शादी के बंधन में बंध गए। हालांकि इन दोनों के बच्चों ने अपने पिता का धर्म अपनाया।
चाचा-चाची भी अलग धर्म से
एक बार फिर इस परिवार दूसरे धर्म से जुड़ने का उदाहरण सामने आया। राहुल के चाचा संजय गांधी का दिल सिख परिवार की एक लड़की मेनका पर आ गया। उनकी शादी में किसी बात को लेकर हल्का-फुल्का विवाद भी रहा लेकिन बाद में शादी हो गई थी। गौर करने वाली बात यह है कि किसी ने कोई धर्म परिवर्तन नहीं किया। सभी लोग एक छत के नीचे रहते हुए सब अपने-अपने मजहब और रीति-रिवाजों को मानते रहे हैं।
दीदी-जीजा भी अलग धर्म से
प्रियंका गांधी का दिल मुरादाबाद के क्रिश्चन परिवार के एक खूबसूरत सदस्य रॉबर्ट वाड्रा पर आया। हालांकि इस विवाह में कोई अड़चन नहीं थी। मां सोनिया गांधी तो पहले से ही ईसाई धर्म को मानने वाली थीं तो उन्होंने कोई आब्जेक्शन नहीं किया। पंडित नेहरू की आपत्ति के बाद बच्चों की शादी-विवाह में धर्म को लेकर कभी किसी ने कोई आपत्ति नहीं की। यही वजह रही कि प्रियंका और रॉबर्ट आसानी से एकदूसरे के हो गए।
बहन के ननदोई मुस्लिम धर्म से
प्रियंका गांधी वाड्रा की ननद मोनिका वाड्रा की शादी मुस्लिम परिवार के तहसीम पूनावाला से हुई। इस विवाह के साथ ही गांधी परिवार के रिश्तेदारों में मुस्लिम मजहब को मानने वाले भी शामिल हो गए। मोनिका वाड्रा प्रियंका वाड्रा की चचेरी बहन हैं। रॉबर्ट ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। मोनिका भी ईसाई थीं लेकिन उन्हें तहसीम से मोहब्बत हुई और उन्हें अपना जीवन साथी बना लिया। इससे गांधी परिवार में हर धर्म के लोग जुड़े हैं।
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