कानपुर। फरवरी 2018 में भारत की अंडर 19 टीम ने इस साल वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया था। अंडर -19 क्रिकेट इतिहास में भारत चार वर्ल्ड कप जीतने वाली इकलौती टीम बन गई है। वैसे तो इस जीत के हकदार युवा खिलाड़ी थे मगर एक शख्स ऐसा था जिसने मैदान के बाहर से जीत की इबारत लिख दी थी। यह कोई और नहीं बल्कि भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ थे। जी हां द्रविड़ इस समय भारत की अंडर 19 टीम के कोच हैं। तीन वर्ल्ड कप और 344 वनडे खेलने के बाद भी द्रविड़ का जो सपना साकार नहीं हुआ था, वो अब जाकर पूरा हुआ है। मालूम हो कि द्रविड़ कभी भी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा नहीं बन पाए थे।
भारत के लिए खेले तीन वर्ल्ड कप
अंतर्राष्ट्रीय भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे राहुल द्रविड़ ने भारत के लिए तीन वर्ल्ड कप खेले थे, लेकिन वे कभी भी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा नहीं बन पाए। बता दें कि द्रविड़ ने अपना आखिरी वनडे मैच सितंबर, 2011 में खेला। द्रविड़ को उस भारतीय टीम में जगह नहीं मिली थी जिसने पांच महीने पहले ही 28 साल बाद वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। द्रविड़ की कप्तानी में वर्ल्ड कप 2007 खेलने वेस्टइंडीज पहुंची भारतीय टीम पहले ही दौर में बाहर हो गई थी।
बतौर कोच जबरदस्त प्रदर्शन
खैर, बतौर कोच राहुल द्रविड़ ने अपनी टीम को इस विश्व कप में ऐसे तैयार किया कि पृथ्वी शॉ की कप्तानी वाली भारतीय टीम को पूरे वर्ल्ड कप में कोई भी टीम उसे हराना तो दूर टक्कर तक नहीं दे पाई। द्रविड़ की कोचिंग का ये असर हुआ कि दुनिया की टॉप टीमें भी भारतीय टीम के आगे फेल साबित हुईं।
इसलिए छोड़ी कप्तानी
राहुल द्रविड़ आज भी दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। टेस्ट क्रिकेट में नंबर तीन पर उनकी जैसी क्षमता वाला दूसरा बल्लेबाज कोई नहीं हुआ। मैचों में उनके विकेट न गिरने के चलते उनका नाम भारतीय क्रिकेट की दीवार या 'द वाल' रखा गया था। गौरतलब है कि द्रविड़ 2005 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने, लेकिन 2007 के वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने उसी साल खुद ही कप्तानी छोड़ दी।
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