कानपुर (एजेंसियां)। हाल ही में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि भारत सरकार ने 58,000 करोड़ रुपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे में दासौ एविएशन के लिए रिलायंस डिफेंस को साझीदार के रूप में प्रस्ताव किया था। ऐसे में उसके पास कोई विकल्प नहीं था। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के इस बयान के बयान भारतीय की राजनीति में भूचाल सा गया है। मोदी सरकार पर विपक्षियों ने एक सुर में निशाना साधना शुरू कर दिया है।
राहुल गांधी ने फ्रांस्वा ओलांद को धन्यवाद दिया
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि फ्रांस्वा ओलांद को धन्यवाद। पीएम ने बंद दरवाजे के पीछे खुद राफेल सौदे पर बातचीत करते हुए उसमें बदलाव किए। उन्होंने निजी वजहों से अरबों रुपये का सौदा दिवालिया अनिल अंबानी के लिए के लिए किया। पीएम ने देश को धोखा देते हुए हमारे सैनिकों के खून का अपमान किया है। इसके बाद से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी लगताार मोदी सरकार पर निशाना साधते जा रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने पीएम से पूछे ये तीन सवाल
अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में अब तक कई ट्वीट किए हैं। एक ट्वीट में उन्होंने पीएम से तीन सवाल पूछे हैं। केजरीवाल के ट्वीट में पहला सवाल आपने ये ठेका अनिल अम्बानी को ही क्यों दिलवाया? और किसी को क्यों नहीं? दूसरा सवाल अनिल अम्बानी ने कहा है कि उनके आपके साथ व्यक्तिगत सम्बंध हैं।क्या ये सम्बंध व्यवसायिक भी हैं? तीसरा सवाल राफेल घोटाले का पैसा किसकी जेब में गया- आपकी, भाजपा की या किसी अन्य की?
ओलांद के बयान पर आई रिपोर्ट की जांच हो रही
दिल्ली सीएम ने एक ट्वीट में कहा है कि प्रधान मंत्री जी सच बोलिए। देश सच जानना चाहता है। पूरा सच। रोज भारत सरकार के बयान झूठे साबित हो रहे हैं। लोगों को अब यकीन होने लगा है कि कुछ बहुत ही बड़ी गड़बड़ हुई है, वरना भारत सरकार रोज एक के बाद एक झूठ क्यों बोलेगी? ओलांद की इस टिप्पणी पर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान का उल्लेख करते हुए आई रिपोर्ट की जांच की जा रही है।
राफेल डील पर सितंबर 2016 में लगी थी मुहर
ओलांद ने कहा है कि भारत सरकार ने ही इस सर्विस समूह का प्रस्ताव रखा था। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। यह पूछे जाने पर कि साझीदार के रूप में रिलायंस का चुनाव किसने और क्यों किया, ओलांद ने कहा, 'इस बारे में कुछ नहीं कहना है। पीएम मोदी ने पेरिस में 10 अप्रैल 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद के साथ बातीचत के बाद 36 राफेल जेट खरीदने की घोषणा की थी। इस सौदे पर अंतिम मुहर 23 सितंबर 2016 को लगी थी।
जियो तो बहाना था डिफेंस डील पाना था, राहुल के राफेल वाले ट्वीटर पर रिएक्शन
अभी तक पूरा नहीं हुआ है राफेल विमान सौदा- रक्षा मंत्री
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