कहानी -
भाई, कहानी वही है... जो सबसे मीठा बोले वही अंत में उचक्का निकलेगा। वैसे भी ये भाई की फिल्म है, कहानी वगेरह की किसको पड़ी है। इट्स नो बड़ीज बिजनेस, और ईद पे भाई की फिल्म आई है, जो भी बिजनेस है, वो भाई का ही बिजनेस है।
समीक्षा -
निर्देशन : और बेहतर हो सकता था स्क्रीनप्ले
तो भाई लोग निर्देशक रेमो ने 'रेस 3' के रूप में, ईद पे परोसी है बासी कढ़ी। पूरी फिल्म में बासी कढ़ी उबाल मारती है, और चूंकि ये भाई की ईद पार्टी है, मजबूरन यही बासी कढ़ी खानी पड़ती है, आंख नाक और कान बंद करके। रेमो जी, आप पहले स्क्रीनप्ले की ABCD सीख लो, या तो फिर वापस से ABCD ही बनाओ, आपसे न हो पाएगा ये सब। फिल्म मशीन के बाद मैंने प्रण किया था, की अब अब्बास मस्तान की फिल्म नहीं देखने जाऊंगा, पर इस फिल्म को देखते वक्त उन्हें मैंने दिल से मिस किया।
राइटिंग : रद्दी डाइलॉग के साथ खराब डबिंग
फिल्म के डाइलॉग इतने फ्लैट हैं, जितने इस फिल्म में गाड़ियों के टायर फ्लैट हुए हैं। कहानी और स्क्रीनप्ले में भी लॉजिक का तो दूर दूर तक अतापता ही नहीं है, क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, कुछ पता नहीं। रद्दी डाइलॉग के अलावा उनकी डबिंग भी उतनी ही खराब है, सबने फिल्म में अपने डाईलोग वैसे ही बोले हैं, जैसे फरदीन खान ने प्रेम अगन में बोले थे।
एक्शन और वीएफएक्स : स्पेशल इफेक्ट बेहद खराब
फिल्म में टोटल 4 से 5 लम्बे लम्बे एक्शन सीक्वेंस हैं, जिनकी झलक आप पहले ही फिल्म के तिलिस्मी ट्रेलर में देख चुके हैं, और क्या है फिल्म में, बाबा जी का ठुल्लू। एक्शन कोरियोग्राफी के साथ साथ फिल्म के स्पेशल इफेक्ट बेहद खराब हैं। बहुत सारे धमाके एक दम फर्जी लगते हैं, लास्ट में जैकलिन बहन लाराक्रॉफ्ट बनके आती जरूर है और कुछ भी नहीं करती।
नृत्य और संगीत : डांस नहीं रेमो की 'साजिश' है
संगीत तो याद ही नहीं है और फिल्म की कोरेओग्राफी भी उतनी ही आउट है, इस फिल्म से कहीं बेहतर डांस डायरेक्शन तो रेमो ने डांस इंडिया डांस के पहले सीजन में की थी, कोमिकाली फिल्म के ट्रेडमार्क सॉन्ग 'अल्लाह दुहाई है' में पूरी कास्ट ने ऐसे डांस किया है जैसे वर्जिश कर कर के शरीर अकड़ गया हो सबका। बाकी जैकलिन बहन का पोलडांस और डेजी बुआ का चुनरीलटक नृत्य से ये बात की झलक मिलती है की इसमें रेमो की साजिश है।
एक्टिंग : बॉबी फिल्म में क्यों थे पता नहीं
वड्डे लोग, वड्डी बातें। डेजी बुआ, सकीब चाचा, अनिल भैया और जकलिन बहन ने ऐसे एक्ट किया है जैसे भाई ने गनपॉइंट पे रख के फिल्म साइन करवाई हो, और पता नहीं क्यों ऐसी हर फिल्म में आपको यूजलेस विलेन के तौर पे आपको फ्रेडी दारूवाला मिलेंगे, जो एक्चुली फिल्म में कुछ भी नहीं करते। बॉबी इस फिल्म में क्यों है वो अभी तक समझ में नहीं आया।
भाई : सलमान के कंधे पर टिकी फिल्म
तो भाईलोग , अब मेन मुद्दे पे आते हैं। हां हां भाई ने खूब तालियां बटोरी हैं, चेहरा दिखाने से पहले भाई की दो बार एंट्री होती है। बाबा इलायची की कसम खा के कहता हूं, पहली एंट्री पे सीटी, दूसरी एंट्री पे तालियां और तीसरी एंट्री पे जब मुंह दिखाई होती है तो भगवान झूठ न बुलाए लोग हाल में खड़े होके एक दुसरे से गले मिलके ईद की मुबारकबाद देना शुरू कर देते हैं। भाई अकेला वो कन्धा हैं, जो इस फिल्म को शुरू से लेकर ढोते हैं। सलमान का करिज्मा ही है की जितनी भी फिल्म आप झेल सकते हैं झेलते हैं।
बिजनेस : हॉल से निराश नहीं लौटेंगे
अब ईद है तो बिजनेस भी होगा ही, लम्बा होलीडे है और भाई के भक्त जब हॉल से निकलेंगे तो निराश नहीं लौटेंगे, इसलिए ये फिल्म सलमान की ही फिल्म है।
वर्डिक्ट : फिल्म किसी लिहाज से नहीं है 'रेस'
ये फिल्म किसी लिहाज से रेस नहीं है। एक सीन में जैकलिन सलमान से पूछती है, 'मैं न होती तो?', सलमान जवाब देते हैं, 'कोई और होता'... सही बात है सलमान की फिल्म में किसी और के होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। शिकायत सलमान से नहीं है, शिकायत रेमो से है, 'रेमो जी, उपरवाले से डरो, क्योंकि उपरवाला सब देख रहा है'।
रेटिंग : 2.5 स्टार
Reviewed by : Yohaann Bhaargava
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