अवधि : 2 घंटे 20 मिनटनिर्देशक : मेघना गुलज़ारनिर्माता : धर्मा प्रोडक्शनस्टार कास्ट : आलिया भट्ट, विक्की कौशल, रजित कपूर, सोनी राज़दान, जयदीप अहलावत आदि।चेतावनी : कमज़ोर दिलवाले दिल घर मे रख के जाएं।
कहानी : जिन दो देशों का शांति पे सहमत होना मुश्किल है, वहां एक लड़की है, जो सहमत है और अपनी सहमति से देश के नाम कर देती है।
समीक्षा : कुछ भी नकली नही है
मुंबई। भाई आ गई वो फ़िल्म जो इस बात को साबित करती है कि ज़रूरी नहीं कि स्पाई अतरंगी आड़े तिरछे स्टंट करे तभी स्पाई है। यहां स्पाई भारत की बेटी है औऱ 100 फीसदी इंसान है। मेघना गुलज़ार में गुलज़ार की झलक साफ-साफ दिखती है। तरह-तरह के इंटेंस इमोशन्स में वो आपको कठपुतली की तरह नचाती है।कुछ भी फोर्स्ड नहीं, कुछ भी नकली नही है, पर जो कुछ भी स्क्रीन पर दिखता है वो लेजेंडरी है। मेघना की एक बात की दाद देनी पड़ेगी कि रिसर्च परफेक्ट रखती है। इसका एक उदाहरण हम तलवार में देख चुके हैं। राज़ी इस बात पर मुहर लगा देती है। मेघना के डायरेक्शन को फूल मार्क्स। बिना बम, बारूद के मेघना ने इस फ़िल्म के हर फ्रेम को बोम्बास्टिक बना दिया है। फ़िल्म के बीच मे पॉपकॉर्न की सेल जीरो हो सकती है क्योंकि फ़िल्म आपको बीच मे उठने नही देगी। इसलिए पॉपकॉर्न लेकर ही हाल में घुसें। फ़िल्म का आर्ट डाइरेक्शन और फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी भी अव्वल दर्जे की है।बैकग्राउंड म्यूजिक भी फिल्म का एक अहम हिस्सा है।
क्या नही आया पसंद : सेकंड हाफ में थोड़ी स्लो
कर्स ऑफ सेकंड हॉफ से ये फ़िल्म सेकंड हाफ में थोड़ी स्लो हो जाती है। इसी वजह से फ़िल्म थोड़ी सी लंबी लगने लगती है।
अदाकारी : परफेक्ट कास्टिंग का शानदार नमूना
मेघना ने हमेशा अपनी फिल्मों में बढ़िया एक्टर्स को कास्ट किया है। यह फ़िल्म विकि को छोड़ कर एक परफेक्ट कास्टिंग का शानदार नमूना है।पहले बात करते हैं आलिया की, क्योंकि बात करना बनता है। जब श्रीदेवी का देहांत हुआ था तो फीमेल सुपरस्टार का स्थान कौन भरेगा उस पर एक प्रश्नचिह्न सा था। ऐसी कौन सी अदाकारा होगी जो आज हीरो का भी काम कर ले? अगर आलिया ऐसे ही बढ़िया काम करती रहीं तो वो दिन दूर नहीं, इनफैक्ट इस फ़िल्म के बाद आप आलिया के नाम पर ही फिल्म देखने का मूड बना लेंगे। उनके सामने बड़े सारे सीजंड कलाकार भी हल्के लगने लगते हैं। इसका कहने का मतलब यह नहीं है कि उनको क्रेडिट न दिया जाए। राजित कपूर, सोनी राज़दान और शिशिर शर्मा अपना हंड्रेड परसेंट देते हैं और फ़िल्म में अपने अपने किरदारों को बड़े ही रियल तरीके से जीते हैं। विकि कौशल इस फिल्म के लिए मिसकास्ट हैं, वो कहीं-कहीं नर्वस और कहीं-कहीं लॉस्ट से दिखते है। या ऐसा भी हो सकता है कि आलिया का रोल इतना बढ़िया लिखा और निभाया हुआ है की वो विकि को ओवरशैडो कर ही देता।
वर्डिक्ट : फिल्म देखने की तीन वजहें
कुल मिलाकर राज़ी न देखने का कोई कारण नहीं दिखता। न तो राज़ी लाउड है और न ही स्टेरोटाइप। वैसे इस साल अब तक कि फिल्मों में राज़ी सबसे बढ़िया फ़िल्म है। सहमत की ज़िंदगी में आपको अपनी सहमति खलेगी नहीं। कम से कम आप ये तो नहीं कहेंगे कि पैसा बर्बाद हो गया। लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में भी आप एन्ड में तालियां बजते हुए पाएं तो गलत न होगा। उड़ता पंजाब में अपने खुद के परफॉर्मेंस को टक्कर देती हुई आलिया, इंडिया की लेडी गुलज़ार मेघना गुलज़ार और रियल गर्ल पावर वो तीन टॉप वजह हैं, जिस कारण से राज़ी के लिए हर कोई हो जाएगा राजी।
रेटिंग : 4.5*
Reviewed by : Yohaann Bhaargava and Madhukar Pandey
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