संडे टाइम्स अख़बार को ईमेल, पत्र और बैंक स्थानांतरण के लाखों ख़ुफिया दस्तावेज़ हासिल किए हैं. अख़बार का आरोप है कि ये दस्तावेज़ सबूत हैं कि क़तरी फ़ुटबॉल के बदनाम अधिकारी मोहम्मद बिन हम्माम ने 2022 के फ़ुटबॉल विश्वकप की मेज़बानी के लिए क़तर के दावे का समर्थन करने के लिए करीब 50 लाख डॉलर (करीब 29.59 करोड़ रुपये) का भुगतान फ़ुटबॉल अधिकारियों को किया था.
क़तर और बिन हम्माम हमेशा इस बात से इनकार करते रहे हैं कि फ़ीफ़ा के पूर्व उपाध्यक्ष ने दिसंबर 2010 में हुई वोटिंग में उनकी समर्थन जुटाने के लिए काम किया था.
लेकिन संडे टाइम्स को मिले ईमेल्स को बीबीसी द्वारा देखने के बाद यह साफ़ है कि 65 वर्षीय बिन हम्माम मेज़बानी के फ़ैसले से एक साल पहले से अपने देश के पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे थे.
'समर्थन की ख़रीददारी'
इन दस्तावेज़ से यह भी पता चलता है कि कैसे बिन हम्माम अफ़्रीका में मौजूद फ़ुटबॉल अधिकारियों का समर्थन क़तर के पक्ष में ख़रीदने के लिए सीधे भुगतान कर रहे थे.
क़तर ने कुछ भी ग़लत करने के आरोपों का खंडन किया है और इस बात पर ज़ोर दिया है कि बिन हम्माम कभी भी क़तर के लिए समर्थन जुटाने के लिए आधिकारिक भूमिका में नहीं रहे. वह क़तर के 2022 अभियान के तहत स्वतंत्र रूप से काम कर रहे थे.
संडे टाइम्स की रिपोर्ट
ताहिती के टेमारी इस प्रतिस्पर्धा में वोट करने के अयोग्य थे क्योंकि उनको फ़ीफ़ा ने उनको पहले ही निलंबित कर दिया था क्योंकि वह संडे टाइम्स के एक स्टिंग ऑपरेशन में नकली अमरीकी अधिकारियों से समर्थन करने के लिए पैसे की मांग कर रहे थे.
लेकिन अख़बार का अब आरोप है कि बिन हम्माम ने उनको फ़ीफ़ा के निलंबन के ख़िलाफ़ अपील करने के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई जिससे कार्यकारी समिति से उनके निलंबन में देरी हुई और उनके उप अधिकारी डेविड चुंग के 2022 की मेज़बानी के लिए वोटिंग में हिस्सा लेने पर रोक लग गई.
अख़बार का दावा है कि अगर चुंग को वोट करने की इज़ाजत होती तो उन्होंने क़तर के प्रतिद्वंती ऑस्ट्रलिया के लिए वोट किया होता. लेकिन ओसेनिया के किसी प्रतिनिधि को वोट की अनुमति नहीं थी, हो सकता है कि इससे परिणाम क़तर के पक्ष में गया हो.
अख़बार ने बिन हम्माम और उनके फ़ीफा के बदनाम सहयोगी रहे त्रिनिडाड के जैक वार्नर के रिश्तों को लेकर नए आरोप भी लगाए हैं.
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ (फ़ीफ़ा) के उपाध्यक्ष जैक वार्नर को 2011 में इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया गया था. वार्नर को इस्तीफ़ा यह साबित होने के बाद देना पड़ा था कि उन्होंने लंबे समय से फ़ीफ़ा के अध्यक्ष रहे सैप ब्लैटर के ख़िलाफ़ अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए कैरेबियाई फ़ुटबॉल अधिकारियों का समर्थन हासिल करने के लिए हम्माम से उन्हें रिश्वत दिलवाई थी.
अख़बार का दावा है कि उसके पास सबूत हैं कि बिन हम्माम ने वार्नर को 16 लाख डॉलर (करीब 9.46 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था, इसमें 4.50 लाख डॉलर (करीब 2.66 करोड़ रुपये) की वह राशि भी शामिल है जो उनको वोटिंग से पहले दी गई थी.
इन नए आरोपों से फ़ीफ़ा के ऊपर 2022 के फ़ुटबॉल विश्वकप की मेज़बानी के लिए फिर से वोटिंग कराने का दबाव बनेगा, इसके लिए वोटिंग 2018 के टूर्नामेंट के साथ-साथ हुई थी, जिसमें इंग्लैंड पहले दौर में मात्र दो वोट से बाहर हो गया था.
फ़ीफ़ा के मुख्य जाँचकर्ता माइकल गैर्सिया पहले ही 2018 और 2022 के फ़ैसलों में भ्रष्टाचार और ग़लतियों के आरोपों की विस्तृत जाँच कर रहे हैं. सोमवार को वह क़तर में 2022 के विश्वकप का आयोजन करने वाली समिति से ओमान में मिल रहे हैं.
लेकिन संडे टाइम्स की ख़बर के मद्देनज़र यह मुलाकात स्थगित भी की जा सकती है, जिसने बिन हम्माम और क़तर के विश्वकप अभियान की सफलता के बारे में कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं.
International News inextlive from World News Desk