ओबामा के प्रवक्ता ने बताया कि अमरीका ने रूस से आग्रह किया है कि वो अमरीकी प्रस्ताव का लिखित में जवाब दे.
क्रेमलिन के अनुसार, पुतिन ने सुझाव दिया है कि कैसे स्थिति को स्थिर किया जाए.
क्राईमिया पर रूस के क़ब्ज़े के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव हो गया था.
इससे पहले बराक ओबामा ने पुतिन से यूक्रेन से लगी रूसी सीमा पर सेना की तैनाती न करने को कहा था.
एक अमरीकी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि सीमा पर रूसी सेना की तैनाती से पता चलता है कि या तो ये यूक्रेन को चेतावनी है या फिर किसी और कार्रवाई की.
बराक ओबामा ने कहा, "सीमा पर इतनी संख्या में सेना की तैनाती का मतलब कौन नहीं जानता. लेकिन रूस को ऐसा नहीं करना चाहिए. हो सकता है कि यूक्रेन को धमकाने की कोशिश हो या फिर ये भी हो सकता है कि उनकी कुछ और योजना हो. दोनों ही मामलों में यदि दोनों देशों को तनाव कम करना है तो रूस को इन सेनाओं को वापस बुलाना होगा और यूक्रेन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सीधी बातचीत शुरू करनी चाहिए."
ओबामा ने ये भी कहा कि जल्द ही दोनों देशों के विदेश मंत्री मिलेंगे और अगले क़दम पर बातचीत करेंगे.
अमरीकी प्रस्ताव को यूक्रेन और दूसरे यूरोपीय देशों के साथ मशविरा करके तैयार किया गया था.
पुतिन ने जब फ़ोन किया उस वक़्त ओबामा सऊदी अरब में थे.
रूस के सरकारी बयान में कहा गया है कि पुतिन ने इस मसले के हल के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने कुछ सुझाव भी रखे हैं.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने न्यूयॉर्क में कहा कि उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने आश्वस्त किया है कि सैन्य कार्रवाई का उनका कोई इरादा नहीं है.
यूक्रेन की उत्तरी सीमा पर रूसी सेनाओं की बढ़ती गतिविधि को नैटो ने सेना की बड़ी तैनाती कहा था और इस कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता इस बात को लेकर बढ़ गई थी कि पुतिन के हित यूक्रेन में सिर्फ़ क्राईमिया तक ही सीमित नहीं हैं.
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