कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हाल ही में जस्टिस न्यायमूर्ति सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की डिविजन बेंच एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रही थी। महिला ने हाईकोर्ट में यह अपील फैमिली कोर्ट द्वारा उसके पति के पक्ष में दिए गए तलाक के फैसले के खिलाफ की थी। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि एक पत्नी द्वारा पति को 'हिजड़ा' (ट्रांसजेंडर) कहना और उसकी मां को ट्रांसजेंडर को जन्म देने वाला कहना क्रूरता का काम है। फैमिली कोर्ट का मानना है कि पति को हिजड़ा कहना और उसकी मां को यह कहना उसने ट्रांसजेंडर को जन्म दिया है, यह क्रूरता है।
पत्नी पोर्न वीडियो देखने और मोबाइल गेम की आदी
बार एंड बेंच के अनुसार तलाक की याचिका में पति ने आरोप लगाया गया था कि उसकी पत्नी पोर्न और मोबाइल गेम की आदी थी। वह पूरी-पूरी रात जागती थी। वह कथित तौर पर पति से फिजिकल रिलेशन के दौरान वीडियो रिकार्डिंग करने को कहती थी।। इसके साथ ही पति से फिजिकल रिलेशन कम से कम 15 मिनट तक और रात में तीन बार करने को कहती थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि वह बिनार वजह उसे फिजिकली कमजोर होने के लिए ताना मारती थी और उसने खुलासा किया था कि वह किसी और से शादी करना चाहती थी। हालांकि पत्नी ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है।
ससुराल वालों पर नशीली दवाइयां देने का आरोप
पत्नी ने दावा किया कि उसके पति ने उसे ससुराल से निकाल दिया है। उसने अपने ससुराल वालों पर नशीली दवाइयां देने का आरोप लगाया। बेहोशी की हालत में, उन्होंने उसके गले में एक तांत्रिक का ताबीज डाल दिया उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें नशीला पानी पिलाया गया ताकि वे उस पर नियंत्रण कर सकें। पत्नी का आरोप है कि फैमिली कोर्ट का क्रूरता संबंधी निष्कर्ष गलत था। कोर्ट ने यह भी देखा कि दोनों पक्ष छह साल से अलग-अलग रह रहे थे। उन्होंने फैमिली कोर्ट के इस अवलोकन को बरकरार रखा कि अब यह रिश्ता टूट चुका है। अब इसमें मेल मिलाप की संभावना नहीं दिखती है।
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