हरियाणा सरकार को जारी नोटिस
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा जाट सहित पांच जातियों के लोगों को आरक्षण देने पर अंतरिम रोक लगा दी है। हाई कोर्ट से इस बारे में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।भिवानी के मुरारी लाल नामक व्यक्ति ने जाटों व अन्य चार जातियों को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि हरियाणा सरकार ने जाटों के दबाव में आकर उनको आरक्षण दिया है।
पिछड़े नहीं है जाट
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही जाटों को आरक्षण देने की नीति को रद कर चुका है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुका है कि जाट पिछड़े नहीं है। जाट समुदाय के लोग सेना, शिक्षा संस्थानों व सरकारी सेवा में उच्च पदों पर हैं। ऐसे में उनको आरक्षण देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है और कानून के खिलाफ है।
2014 मे मिला था आरक्षण
याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में एक फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2014 में भी जाटों समेत अन्य जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण दिया था। लेकिन, इसे सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश को आधार बनाते हुए रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि आयोग का सर्वे है कि आर्म्ड फोर्स, सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में जाटों का पुख्ता प्रतिनिधित्व है, ऐसे में उन्हें पिछड़ा नहीं माना जा सकता है।
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