इस रिपोर्ट के अनुसार 1962 में हुए भारत और चीन युद्ध में भारत की हार के लिए कथित तौर पर भारतीय नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया है.
इस रिपोर्ट में जिन्हें युद्ध में हार के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है उनमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भी नाम है.
इस रिपोर्ट के अनुसार इस युद्ध में भारतीय सेना को मिली अपमानजनक हार के लिए पूरी तरह से भारत के नेता ज़िम्मेदार हैं.
वर्ष 1970 में 'इंडियाज़ चाइना वॉर' नामक किताब लिखने वाले पत्रकार नेविले मैक्सवेल ने हेंडरसन ब्रुक रिपोर्ट के कुछ हिस्सों के आधार पर लिखी थी. इसी रिपोर्ट के हिस्से अब सामने आए हैं.
इस रिपोर्ट के बड़े हिस्से को सामने रखते हुए मैक्सवेल ने कहा है, "इस रिपोर्ट को अपने पास रखकर मैं एक लगातार छिपाए जा रहे रहस्य को छिपाने में हिस्सेदार बन गया था."
मैक्सवेल 1962 के युद्ध के दौरान लंदन स्थित अख़बार 'द टाइम्स' के युद्ध संवाददाता के रूप में काम कर रहे थे.
फ़ॉरवर्ड पॉलिसी
इस रिपोर्ट में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यालय और रक्षा मंत्रालय की नीतियों ख़ासकर उसकी 'फ़ॉरवर्ड पॉलिसी' के लिए आलोचना की गई है.
इस पॉलिसी के तहत कथित तौर पर सैन्य मोर्चे पर मौजूद सैन्य अधिकारियों की सलाह के विपरीत सीमा पर आक्रामक नीति अपनाई गई, जबकि सीमा पर मौजूद सेना के पास संसाधनों का सख्त अभाव था.
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एजेएस बहल उस समय सेकेंड लेफ्टिनेंट थे. वो सात महीने तक युद्ध बंदी के रूप में रहे थे.
बहल इस बात से ख़ुश हैं कि 'सच आख़िरकार सामने आ गया.' वे कहते हैं कि इस युद्ध में चीन के हाथों बुरी तरह हारने के लिए अक्सर भारतीय सेना को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.
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वे कहते हैं, "अब लोगों को पता चल जाएगा कि सेना क्यों विफल हुई थी. अब इसकी ज़िम्मेदारी और लोगों जैसे ख़ुफिया सेवाओं, सैन्य अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं पर आएगी."
यह रिपोर्ट भारत सरकार को साल 1963 में सौंपी गई थी. भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार से इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया था.
लेकिन भारत के मौजूदा रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में कहा कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें संवेदनशील जानकारियाँ हैं.
'पूरा सच'
ब्रिगेडियर बहल चाहते हैं कि इस रिपोर्ट को पूरी तरह सार्वजनिक किया जाए. वे कहते हैं, "भारत का हर सैनिक पूरा सच जानना चाहेगा."
'द हेंडरसन ब्रुक्स रिपोर्ट' भारत सरकार ने तैयार कराई थी. इसे कभी भी उजागर नहीं किया गया. पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह राजीव डोगरा कहते हैं कि यह बिल्कुल सही समय है जब भारत सरकार को इस रिपोर्ट को पूरा जारी किया जाए.
वे कहते हैं, "गुप्त और गोपनीय रिपोर्टों को भारतीय क़ानून के अनुसार तीस साल बाद जारी किया जाना चाहिए. अगर कोई रिपोर्ट बहुत ज़्यादा संवेदनशील है तो इसे नहीं भी जारी किया जा सकता है. लेकिन मुझे यह नहीं समझ आता कि भारत सरकार इस रिपोर्ट को क्यों नहीं जारी करना चाहती क्योंकि चीन के हाथों भारत की हार के ज़्यादातर कारण पहले से ही सार्वजनिक जानकारी में है."
मैक्सवेल के पास यह रिपोर्ट साल 1970 से मौजूद है जब उन्होंने अपनी किताब लिखी थी. उन्होंने अपनी वेबसाइट पर इस रिपोर्ट के हिस्से जारी करते हुए लिखा कि इस रिपोर्ट का सार्वजनिक न किए जाने के पीछे कारण 'राजनीतिक, विभाजन पैदा करने वाले और शायद पारिवारिक' हैं.
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