चल रही अटकलों को करना चाहते हैं खत्म
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि शरीफ के इस संभावित कदम का मकसद कियानी के उत्तराधिकारी को लेकर चल रही अटकलों को खत्म करना है. साथ ही सेना के शीर्ष पद पर उस वक्त सहज परिवर्तन को सुनिश्चित करना है जब सेना एकसाथ कई मोर्चों पर लड़ रही है. प्रधानमंत्री के एक करीबी ने बताया कि कियानी के उत्तराधिकारी के नाम को लेकर विचार हो रहा है. सरकार 28 नवंबर का इंतजार नहीं करेगी. 61 वर्षीय कियानी को 2007 में पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने सेना प्रमुख नियुक्त किया था. 2010 में यूसुफ रजा गिलानी की सरकार ने उन्हें तीन वर्ष का सेवा विस्तार दे दिया था. आगामी 28 नवंबर को वह सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
सेना कर चुकी है शरीफ की सरकार को बेदखल
गौरतलब है कि पूर्व में दो बार शरीफ की सरकार को सत्ता से बेदखल करने में देश की ताकतवर सेना का हाथ रहा. प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने 1993 में जनरल वहीद काकर और 1998 में जनरल परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख नियुक्त किया था. दोनों को वरिष्ठता के बजाए वफादारी के आधार पर वरीयता दी गई थी. बहरहाल, सूत्रों के अनुसार यदि वरिष्ठता के नियमों का पालन किया जाता है तो लेफ्टिनेंट जनरल हारुन असलम नए सेना प्रमुख हो सकते हैं. उनके बाद लेफ्टिनेंट जनरल राशिद महमूद और लेफ्टिनेंट जनरल राहिल शरीफ के नामों की चर्चा है.
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