भारत तीन पायदान और गिरा
भारत में प्रेस की आजादी को लेकर तमाम तरह की खबरों के बीच वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम रैंकिग की रिपोर्ट आई है जो बताती है कि भारत में प्रेस की आजादी पहले के मुकाबले कम हुई है। प्रेस की आजादी को लेकर 180 देशों में किए गए सर्वेक्षण में भारत को 136वां स्थान मिला है, जबकि पहले भारत का स्थान 133वां था यानी भारत तीन स्थान नीचे फिसला है। प्रेस की आजादी को जितना खतरा आज है उतना पहले कभी नहीं था। यह बात निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने बुधवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में कही है।
भारत को होना है सचेत
संस्था ने प्रेस की आजादी को सीमित करने की कोशिशों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है, लोकतांत्रिक देशों में हालात सच्चाई से परे भावुक अपीलों, दुष्प्रचार और आजादी के दमन के दौर में है। लोकतांत्रिक देश सूचकांक में लगातार नीचे खिसक रहे हैं। इस गिरावट को रोकने की कोई कोशिश भी नहीं हो रही। ऐसे में भारत को अभी से सचेत हो जाना चाहिए।
यहां पत्रकारों को मिलती हैं धमकियां
रिपोर्ट में भारत को पत्रकारिता के लिए 'मुश्किल परिस्थिति' वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश भी इसी श्रेणी में आते हैं। भारत में प्रेस की आजादी की बाधाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि हिंदू राष्ट्रवादी राष्ट्रीय बहसों में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यधारा की मीडिया में सेल्फ सेंसरशिप का चलन बढ़ा है। पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार और धमकी देने की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
कहां-किसको मिली है आजादी :
- प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में नॉर्वे पहले स्थान पर है।और उत्तर कोरिया आखिरी स्थान पर है। बीते छह साल तक पहले पायदान पर रहा फिनलैंड तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।
-कई देशों का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में कमजोर रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका और चिली दो-दो स्थान की गिरावट के साथ क्रमश: 40वें, 43वें और 33वें स्थान पर हैं। न्यूजीलैंड आठ स्थान की गिरावट के साथ 13वें स्थान पर है।
-रूस में प्रेस की आजादी की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। वह पिछले साल की तरह 148वें स्थान पर ही बना हुआ है। जुलाई के नाकाम तख्तापलट के बाद तुर्की की स्थिति भी भयावह हो गई है।
-भारत, रूस, चीन सहित 72 देशों में प्रेस की आजादी को लेकर हालात बहुत गंभीर है। इन देशों में मीडिया को निशाना बनाने की घटनाएं सामान्य हो गई हैं।
-पिछले साल जिन देशों में प्रेस की आजादी को लेकर स्थिति काफी अच्छी थी ऐसे देशों की संख्या में दो फीसद तक की कमी आई है।
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