उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ अपील पर सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे जारी रखते हुए केंद्र सरकार से सात सवाल पूछे हैं.
कोर्ट ने सरकार से जो सवाल पूछे, उनमें पांच ये हैं-
क्या राज्य में बहुमत परीक्षण में देरी को राष्ट्रपति शासन लगाने की वजह माना जा सकता है?
क्या स्पीकर की ओर से विधायकों को अयोग्य ठहराना इतना अहम है कि केंद्र सरकार ने धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगा दिया?
क्या राज्यपाल सदन में शक्ति परीक्षण के लिए अनुच्छेद 175 (2) के तहत इस ढंग से संदेश भेज सकते हैं?
क्या विधानसभा की कार्यवाही को देखकर राष्ट्रपति वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं?
कब विनियोग विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति की भूमिका की ज़रूरत होती है?
अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा मामले से उत्तराखंड के मुख्य सचिव का कोई लेना-देना नहीं है. कोर्ट के मुताबिक़ स्पीकर ही विधानसभा का कर्ताधर्ता है.
कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख तीन मई तय की है. तब तक राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा.
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