एर्दोआन ने इस्तांबुल में हुए सम्मेलन में कहा, "अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्या होगा... तुर्की गणराज्य की संसद से समझौते को लेकर न कोई फ़ैसला होगा और न कोई कानून पारित हो पाएगा।" तुर्की पहले भी कई बार कह चुका है कि अगर उसकी इस मांग को नहीं माना गया तो समझौता नाकाम हो सकता है। यूरोपीय यूनियन का कहना है कि तुर्की को इसके लिए अभी कुछ और शर्तें पूरी करनी है। इनमें चरमपंथ से जुड़े कानून में बदलाव शामिल है। तुर्की इससे इनकार करता रहा है। ऐसे संकेत हैं कि इस महीने के आखिर तक तुर्की के लोगों को वीज़ा मुक्त आवाजाही की सुविधा नहीं मिल पाएगी।

Erdogan and Merkel

एर्दोआन से सोमवार को मुलाक़ात करने वाली जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा था कि इसके लिए पर्याप्त समय नहीं होगा। तुर्की और यूरोपीय यूनियन के बीच हुए समझौते का मक़सद यूरोप में प्रवासियों के बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवेश पर रोक लगाना है। यूरोपीय यूनियन और तुर्की के बीच हुए समझौते के तहत 20 मार्च के बाद ग्रीस पहुंचे प्रवासियों ने अगर शरण पाने के लिए आवेदन नहीं किया या फिर उनके दावे को खारिज कर दिया गया तो उन्हें तुर्की वापस भेज दिया जाएगा। तुर्की लौटने वाले सीरिया के हर प्रवासी के बदले यूरोपीय यूनियन वैध तरीके से आवेदन करने वाले सीरिया के प्रवासी को यूरोप में प्रवेश की इजाज़त देगी। वीज़ा को लेकर छूट देने के मामले में तुर्की का चरमपंथ निरोधक क़ानून विवाद का अहम मुद्दा है।

Migrant

यूरोपीय यूनियन और मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि तुर्की पत्रकारों और असंतुष्टों को दबाने के लिए इस क़ानून का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं तुर्की की सरकार इन आरोपों से इनकार करती है। तुर्की का कहना है कि चरमपंथियों से मुक़ाबले के लिए ये क़ानून जरूरी है। तुर्की ने कहा है कि वो कानून में बदलाव नहीं करेगा। एर्दोआन ने ये भी कहा कि यूरोपीय यूनियन ने तुर्की को धन मुहैया कराने का जो वादा किया था, वो भी अब तक पूरा नहीं किया गया है।

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