शानिवार को कैबिनेट में अध्यादेश संशोधित हुआ था
नई दिल्ली (आईएएनएस)। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उसी आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 को मंजूर किया है जिसे बीते शनिवार को कैबिनेट द्वारा संशोधित किया था। यह अध्यादेश दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने और महिलाओं के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए तैयार किया गया है। भारतीय दंड संहिता आईपीसी, साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी और यौन अपराधों से बाल सुरक्षा पोक्सो अधिनियम को अब संशोधित माना जायेगा। अध्यादेश में अब इन मामलों की त्वरित जांच की जाएगी और साथ ही सुनवाई की भी व्यवस्था भी होगी। जम्मू-कश्मीर में कठुआ में एक आठ वर्षीय लड़की, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक किशोरी के साथ दुष्कर्म जैसे देश के और दूसरे हिस्सों से इसी तरह के अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों को रोकने के लिए तेजी से जांच होने से इस पर शिकंजा कसा जा सकता है। इस तरह के मामलों में दो महीने जांच की सीमा होगी, दो महीने ट्रायल होगा।

न्यूनतम सजा सात साल से बढकर 10 साल होगी
इस तरह के मामलों की अपील को छह महीने में ही निपटाया जाएगा। 12 साल की कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए जाने पर सजा कम से कम 20 साल की सजा या फिर मृत्यु दंड और अजीवन कारावास हो सकता है। इसके अलावा 16 साल से कम उम्र की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को उम्रकैद की सजा का प्रावधान रहेगा। वहीं 16 साल से कम उम्र की लड़की संग दुष्कर्म के मामले में अदालत को सरकारी वकील और पीड़िता के प्रतिनिधि को 15 दिनों का नोटिस देना होगा। वहीं 16 साल की कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म या फिर सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में अग्रिम जमानत के लिए कोई प्रावधान नहीं होगा। अध्यादेश के अनुसार अब महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में न्यूतम सजा सात साल से बढकर 10 साल होगी। इसके अलावा यह बढ़ाकर 20 साल तक भी हो सकती है। इसके अलावा प्रत्येक राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट और विशेष फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। इससे मामले की जांच और अभियोजन को सही दिशा मिल सकेगी।

कर्ज लेकर विदेश भागने वालों की संपत्ति जब्त होगी
वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फ्यूजिटिव ऑफेंडर आर्डिनेंस यानी कि आर्थिक अपराधियों अध्यादेश, 2018 को भी मंजूरी दी है। इसके तहत बैंकों से कर्ज लेकर विदेश भागने वालों की सारी संपत्ति जब्त की जा सकेगी। पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी के मामले इसके अंतर्गत आते हैं। इसमें मुख्य आरोपी हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी 30,000 करोड़ रुपये से अधिक बैंकों से लेकर देश से भाग गए है। इस तरह के मामलों में मुकदमे से बचने के लिए विदेश भाग जाने वाले या फिर मामले की सुनवाई के लिए देश लौटने से इनकार करने वाले को भगोड़ा माना जाएगा। ऐसे में इस अध्यादेश के आने से भगोड़ों की संपत्ति उसके अपराधी साबित होने से पहले ही जब्त की जाएगी। इससे वे भगोड़े भारत लौटने को भी मजबूर होंगे। वहीं उनकी यह संपत्ति बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में अपराधी द्वारा की गई वित्तीय चूक की भरपाई करेगी। ऐसे संस्थानों के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार करने में भी मदद करेगा।

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