कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। प्रदोष व्रत से जीवन में कई दोषों व सकंटों से छुटकारा मिलता है। यह व्रत हर माह शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों की त्रयोदशी यानी कि 13वें दिन रखा जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन महादेव जी की विधिविधान से पूजा की जाती है। इससे हर मनोकामना पूरी होती है। इस व्रत को स्त्री पुरुष दोनों कर ही सकते हैं। ऐसे में माघ मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत या माघी प्रदोष व्रत 24 फरवरी दिन बुधवार को मनाया जाना है। प्रदोष व्रत को लेकर मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव शाम के समय कैलाश पर्वत पर अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं।
ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए शिव जी का पूजन करें
प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिविधान से पूजा की जाती है। भगवार शिव की कृपा से संतान, धन, सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत के लिए त्रयोदशी के दिन प्रात: काल उठकर स्नान ध्यान करने के बाद शिव जी का स्मरण करें। पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें व चौकी रख मंडप बनाएं। इसके बाद कुश के आसन पर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। फिर 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए शिव जी की विधिवित पूजा करें।
प्रदोष व्रत का वारों के हिसाब से अलग-अलग फल मिलता
यह भी एक मान्यता है कि दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत का वारों के हिसाब से अलग-अलग फल मिलता है। रविवार को प्रदोष व्रत से आयु वृद्धि व अच्छा स्वास्थ्य, सोमवार को आरोग्य होने के साथ ही सभी इच्छाओं की पूर्ति, मंगलवार को रोगों से मुक्ति व बुधवार को सभी कामनाओं की पूर्ति, गुरुवार को शत्रुओं का विनाश होता है। शुक्रवार को सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति और शनिवार को संतान सुख की कामना पूरी होती है।