लखनऊ (धर्मेंद्र सिंह)। बिजली कंपनियों की ओर से दरों में बढ़ोत्तरी किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी जहां बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में लंबित है, वहीं प्रदेश की बिजली कंपनियां द्वितीय क्वार्टर के लिए बिजली दरों में 12 पैसा प्रति यूनिट का इजाफा चाहती हैैं। जिस दिन भी यह प्रस्ताव पास हुआ तो उसके अगले तीन माह तक लगातार उपभोक्ताओं की जेब हल्की होगी।

फ्यूल सरचार्ज की नाम पर

कंपनियों की ओर से पावर कारपोरेशन फ्यूल सरचार्ज के नाम पर जुलाई-अगस्त सितंबर (द्वितीय क्वार्टर) के लिए उपभोक्ताओं की बिजली दरों में फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 12 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी चाहता है। पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से विद्युत नियामक आयोग से अपने पेंडिंग प्रस्ताव पर अभिलंब निर्णय की मांग उठाई है, जिसकी भनक लगते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य ने विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह से मिलकर एक लोक महत्व याचिका दाखिल की।

12 पैसा प्रति यूनिट की भरपाई का अनुमोदन

उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन और बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर सवाल उठाया कि प्रदेश की बिजली कंपनियां जुलाई से सितंबर महीने के लिए अपने 387 करोड़ के एवज में 12 पैसा प्रति यूनिट की भरपाई का अनुमोदन आयोग से चाह रही है। उपभोक्ता परिषद ने जब मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के प्रथम संशोधन के आधार पर आंकलन किया तो पाया की सेकंड क्वार्टर में उपभोक्ताओं का ही फ्यूल सरचार्ज के मध्य में लगभग 1000 करोड़ सरप्लस निकल रहा है।

उपभोक्ताओं को लाभ दें

उसके आधार पर जुलाई से सितंबर के महीने में उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 30 से 31 पैसे प्रति यूनिट की कमी की जानी चाहिए थी। ऐसे में अब आयोग पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव को खारिज करते हुए सेकंड क्वार्टर में उपभोक्ताओं के निकल रहे सरप्लस रकम के एवज में बिजली दरों में कमी का लाभ प्रदेश के उपभोक्ताओं को दें।

सरप्लस रकम से अपना हिसाब बराबर करें

यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 25133 करोड़ रुपए सरप्लस निकल रहा है, ऐसे में उन्हें यदि लगा था कि फ्यूल सरचार्ज के मद में उनका कुछ बकाया उपभोक्ताओं पर निकल रहा है तो उन्हें इस सरप्लस रकम से अपना हिसाब बराबर करना चाहिए था लेकिन ऐसा ना कर के केवल हर मुद्दे पर प्रदेश के उपभोक्ताओं पर भार डालने की साजिश की जा रही है। पहले भी प्रदेश की बिजली कंपनियों की ओर से अप्रैल, मई और जून के महीने के लिए फ्यूल सरचार्ज के मद में 35 पैसे प्रति यूनिट की बढोतरी मांगी गई थी लेकिन उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद उसमें वह कामयाब नहीं हो पाई थी।

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