नैतिक शिक्षा का केंद्र नहीं बनाएं
समलैंगिकों और गर्भपात के खिलाफ रोमन कैथोलिक चर्च की बयानबाजी से पोप फ्रांसिस खफा हैं. उन्होंने कहा है कि चर्च को कुछ खास लोगों की तरफ केंद्रित, दकियानूसी और बेवजह की नैतिक शिक्षा का केंद्र नहीं बनने देना चाहिए. गर्भपात और समलैंगिकों के बारे में हमेशा बयानबाजी ठीक नहीं है.
सख्त भाषा में दिया संदेश
छह माह पहले पोप बने फ्रांसिस ने पहली बार इतनी सख्त भाषा का इस्तेमाल किया है. पोप का यह संदेश अमेरिका समेत उन विभिन्न देशों के बिशप और पादरियों के लिए है, जो लगातार गर्भपात, समलैंगिक विवाह जैसे मसलों के खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं.
वरना ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी
न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ इंटरव्यू में पोप ने कहा कि आलोचनाओं के बावजूद वह इन मामलों पर चुप ही रहेंगे. पोप के अनुसार चर्च को सभी के लिए काम करना चाहिए. हमें दुनिया के विभिन्न वर्गों में संतुलन बनाने के लिए काम करना होगा. वरना चर्च की नैतिक शिक्षाएं ताश के पत्तों के महल की तरह ढह जाएंगीं. प्रार्थना के लिए आने वाले लोग शांति एवं सद्भाव की तलाश में होते हैं.
भगवान का निर्णय उन पर भी छोड़ें
पोप फ्रांसिस ने कहा कि चर्च का बेटा होने के नाते उसकी शिक्षाएं उनके दिलोदिमाग में बसी हैं. हालांकि, अब हमें इन्हें बड़े परिदृश्य में देखना होगा. उन्होंने पूछा कि जब ईश्वर समलैंगिक की ओर देखते होंगे तो वे उससे नफरत करेंगे या प्यार. ईश्वर क्या करेंगे यह निर्णय हमें उन पर ही छोड़ देना चाहिए. मैं यह तय करने वाला नहीं हूं.
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