तीन साल में भी नहीं हो सकी थाने की शुरूआत
नवंबर 2018 में बिजली थाने की होनी थी शुरुआत
स्मार्ट सिटी बनारस समेत पूरे प्रदेश में हौसला बुलंद बिजली चोरों पर अंकुश लगाने के लिए तीन साल पहले शुरू हुई बिजली थाने की योजना फाइलों में ही सिमट कर रह गई. ऐसा लगता हैं कि पावर कारपोरेशन इस योजना को लेकर फिक्रमंद ही नहीं है. यही वजह है कि यहां बिजली चोर और बकाएदारों की संख्या कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही है. न विभाग इनकी निगरानी कर रहा है और न छापेमारी हो रही है. कुछ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद नवंबर में यहां थाना खोलने का प्लान तैयार हुआ था, लेकिन वह भी प्लान ही रह गया.
योगी सरकार की है योजना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद बिजली चोरों पर अंकुश लगाने के साथ जांच और एक्शन में तेजी लाने के लिए प्रदेश के 75 जिलों में थाना खोलना था. इसमें बनारस भी शामिल है. लेकिन आदेश के करीब तीन साल बाद भी थाने नहीं खुल सके हैं. हालांकि पिछले साल अक्टूबर में थाने को लेकर कवायद की गई थी. तय हुआ था कि नवंबर तक थाना खोल दिया जाएगा. लेकिन उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के ढुलमुल रवैये के चलते प्लान ठंडे बस्ते में चला गया.
पहले कुंभ फिर चुनाव
अधिकारियों की मानें तो बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए पिछले साल बिजली थाने की योजना पर काम शुरू किया गया था. इसके तहत शहर में पहला बिजली थाना तैयार किया जाना था. बिजली विभाग ने अपने स्तर पर जेई लेवल के अधिकारी भी नियुक्त कर दिए थे, लेकिन फोर्स की उपलब्धता न हो पाने के कारण प्रक्रिया लटक गई. इसके बाद कुंभ मेला और फिर चुनाव में व्यस्त फोर्स की वजह से बिजली थाने की योजना परवान नहीं चढ़ सकी.
एक नजर
- सिर्फ विद्युत विभाग के मामलों में होगी एफआईआर, धरपकड़ और जांच
- विद्युत विभाग के अवर अभियंता होंगे थाना के प्रभारी
- पुलिय मुख्यालय से एसआई स्तर के अधिकारी होंगे विजिलेंस टीम के प्रभारी
- विजिलेंस टीम को थाने से जारी होंगे हथियार
- थाने में बिजली चोरी, शंटिंग, कटिया आदि के मामलों पर एफआईआर से लेकर कार्रवाई तक का होगा काम
ये होंगे तैनात :
1 इंस्पेक्टर
2 सब इंस्पेक्टर,
16 महिला व पुरुष सिपाही
2 लाइन मैन
हम इस प्रकरण में ज्यादा कुछ नहीं कह सकते. यह शीर्ष लेवल का मामला हैं, इसलिए इसका फैसला पावर कारपोरेशन ही करेगा.
आशीष अस्थाना, एसई