मजेंटा लाइन बेहद खास
नोएडा से दिल्ली के कालका जी मंदिर तक जाने वाली मजेंटा लाइन बेहद खास है। देश में पहली बार जनकपुरी पश्चिम-बॉटेनिकल गार्डेन तक इस मजेंटा लाइन पर चालक रहित ट्रेन चलेगी। हालांकि फिलहाल दो वर्ष तक इसको मैन्यूली आपरेट किया जाएगा। वहीं मजेंटा लाइन के प्लेटफार्म पर प्रवेश के लिए 12 प्रवेश द्वार बनाए गए है। यात्रियों को यहां से निकलने के लिए ब्लू लाइन के गेटों का प्रयोग करना होगा।
इको फ्रेंडली बनाए गए
स्टैंडर्ड गेज पर आधारित यह मजेंटा लाइन सुरक्षा के लिहाज से काफी मजबूत है। सभी कोचों में चार सीसीटीवी कैमरे और हर कोच के बाहर दो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। हर कोच में तीन रंग की चेयर इसकी खूबसूरती को और ज्यादा बढा रही हैं। इस मजेंटा लाइन के सभी नौ मेट्रो स्टेशन इको फ्रेंडली बनाए गए हैं। यहां यात्रियों की सुख-सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया है।
रेडलाइन
रिठाला से लेकर दिलशाद गार्डेन तक चलने वाली मेट्रो लाइन रेडलाइन से पहचानी जाती है।
येलो लाइन
समयपुर बादली से लेकर हुडा सिटी सेंटर तक की मेट्रो की पहचान येलोलाइन से होती है।
ब्लू लाइन
द्वारका सेक्टर-21 से नोएडा सिटी सेंटर वैशाली तक है। यहां ब्लू लाइन वाली मेट्रो चलती है।
ग्रीन लाइन
कीर्ति नहर-मुंडका से मुंडका-बहादुरगढ़ तक चलने वाली मेट्रो की पहचान ग्रीन लाइन से होगी।
वायलेट लाइन
आइटीओ-बदरपुर और फरीदाबाद की ये मेट्रो वायलेट लाइन से पहचानी जाती है।
पिंक लाइन
मुकुंदपुर से शिवविहार तक निर्माणाधीन मेट्रो पिंक लाइन से पहचानी जाती है।
ब्राउन लाइन
मुकुंदपुर से शिव विहार कॉरीडोर के बीच की मेट्रो ब्राउन रंग यानी ब्राउन लाइन से पहचानी जाती है।
ग्रे लाइन
द्वारका से नजफगढ़ के बीच की मेट्रो लाइन को ग्रे लाइन से पहचाना जाता है।
इस वजह से रखे जाते हैं रंगों पर नाम
मेट्रो लाइन के नाम रंगों पर रखे जाने की मुख्य वजह यह है कि यात्रियों से लेकर विभागीय अधिकारी नंबरों की अपेक्षा इन्हें रंगों से आसानी से पहचान लेते हैं। बातदें कि वैसे तो दिल्ली मेट्रो लाइन का नाम इंद्रधनुष के सात रंगों पर रखे गए थे लेकिन बाद में इसमें ग्रीन और और ग्रे रंग बढ़ने से अब यह नौ रंग हो चुके हैं।1 मिनट में 122 नारियल तोड़कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, यकीन न हो तो देख लें वीडियो
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