नई दिल्ली (एएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यहां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अलग-अलग मतदाता सूचियां संसाधनों की बर्बादी हैं। लोकसभा विधानसभा और स्थानीय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची सही है। एक राष्ट्र एक चुनाव सिर्फ बहस का विषय नहीं है, यह भारत की आवश्यकता है। हर कुछ महीनों में चुनाव अलग-अलग स्थानों पर होते हैं, विकास कार्य पर इसका प्रभाव सभी को पता है। इस मुद्दे पर अध्ययन किए जाने की जरूरत है और पीठासीन अधिकारी इसके लिए मार्गदर्शक हो सकते हैं। चाहे वह लोकसभा, विधानसभा से लेकर पंचायत के चुनाव हों, हमारे पास एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए।
अधिकारों और कर्तव्यों के बीच घनिष्ठ संबंध देखा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अलग-अलग चुनावों के लिए अलग-अलग सूचियां हैं। क्यों हम इस पर खर्च कर रहे हैं और समय बर्बाद कर रहे हैं? आज अलग-अलग सूचियों की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि कानूनों की भाषा सरल होनी चाहिए ताकि एक आम आदमी उन्हें समझ सके। हमारे संविधान में कई विशेषताएं हैं लेकिन एक विशेष विशेषता कर्तव्यों का महत्व है। गांधी जी इस पर बहुत उत्सुक थे। उन्होंने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच घनिष्ठ संबंध देखा। उन्होंने महसूस किया कि एक बार जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो अधिकार स्वतः ही सुरक्षित हो जाएंगे।
निरस्त करने की प्रक्रिया स्वचालित रूप से जारी रहे
प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिसमें पुराने कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया स्वचालित रूप से जारी रहे, जो कानून समय के साथ अपना महत्व खो चुके हैं, उन्हें हटाने की प्रक्रिया भी आसान हो जानी चाहिए। वर्षों से, ऐसे सैकड़ों कानून हटा दिए गए हैं। पीएम ने पूछा संविधान की तरह, क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते हैं जिसमें पुराने कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया स्वचालित रूप से जारी रहे?
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