* चीन को संकेत : ओबोर प्लान में भारत की संप्रभुता का रखे याल
* पाक को चेतावनी : आतंकियों को न करने दे अपनी जमीन का इस्तेमालपाकिस्तान को दूसरा झटका:
छह माह पहले डोनाल्ड जे. ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि नया प्रशासन भारत के साथ रिश्तों को गंभीरता देगा या नहीं। संयुक्त बयान में पहली बार भारत और अमेरिका ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को आगाह किया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलाने के लिए न करे। साथ ही पाकिस्तान से यह भी कहा गया है कि वह मुंबई हमले और इस तरह के अन्य हमलों के दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए कदम उठाए। यह कुछ ही घंटों के भीतर पाकिस्तान को दिया गया दूसरा झटका है।
सीधे तौर पर बोला जा रहा:
सनद रहे कि ट्रंप-मोदी मुलाकात से कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी सरकार ने हिजबुल आतंकी सैयद सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया था। भारत और अमेरिका ने अलकायदा, आइएस, हिजबुल, डी-कंपनी, लश्कर, जैश जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के खिलाफ भी अपने सहयोग को लगातार मजबूत करने की बात कही है। इसमें चार आतंकी संगठन पाकिस्तान आधारित ही हैं। पहले भी भारत और अमेरिकी सरकार की तरफ से जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान का जिक्र होता था, लेकिन पहली बार अब उसे सीधे तौर पर बोला जा रहा है।
आतंकवाद पर केंद्रित रही बातचीत:
पाकिस्तान को दी गई चेतावनी इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों नेताओं की बातचीत अधिकांश समय आतंकवाद, इसके असर व इसे रोकने के स मलित प्रयासों के आस-पास केंद्रित रही। अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारत की तरफ से किए जा रहे विकास कार्यों को सराहा तो खाड़ी में चल रहे आतंकरोधी अभियान में भी मदद का अनुरोध किया। दोनों देशों के बीच आतंक के खिलाफ एक नया व्यापक समझौता किए जाने की बात भी संयुक्त बयान में कही गई है। इसके तहत आतंकी संगठनों के बारे सूचनाओं का आदान प्रदान और आसानी से हो सकेगा। साथ ही दोनों मिलकर आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई में भी एक दूसरे की मदद करेंगे।
दक्षिण चीन सागर और ओबोर पर चर्चा:
मोदी-ट्रंप के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर न सिर्फ विस्तृत बातचीत हुई बल्कि इस इलाके में चीन के प्रभुत्व को किस तरह से रोका जाए, इसकी रणनीति बनाने की तरफ भी संकेत दिए गए हैं। संयुक्त बयान में चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबोर) की तरफ भी इशारा किया गया है। इसमें कहा गया है कि दोनों देश आर्थिक तौर पर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की योजनाओं का समर्थन करते हैं, लेकिन यह योजना पारदर्शी तरीके से और दूसरे देशों की सार्वभौमिकता व क्षेत्रीय अखंडता का आदर करते हुए होना चाहिए। भारत इस योजना का यह कहते हुए विरोध करता है कि यह ज मू-कश्मीर के उस हिस्से से गुजरेगी जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा किया हुआ है।
ट्रंप को भारत आने का न्योता:
मोदी और ट्रंप की पहली मुलाकात से साफ दिखा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के नेताओं के बीच अच्छी केमिस्ट्री बन चुकी है। जब मोदी और ट्रंप की वार्ता चल रही थी तो उसमें ट्रंप की पत्नी मिलेनिया ट्रंप ने भी थोड़ी देर के लिए शिरकत की। बाद में रात्रि भोज में मोदी ने ट्रंप की बेटी और उनकी राजनीतिक सलाहकार इवांका ट्रंप को भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया। इवांका ने बाद में ट्वीट कर इस निमंत्रण के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने ट्रंप और उनके पूरे परिवार को ाारत दौरे के लिए आमंत्रित किया है। माना जा रहा है कि अगले महीने मोदी और ट्रंप की जी-20 देशों की बैठक में मुलाकात हो सकती है जिसमें वे सोमवार को की गई बातचीत की समीक्षा करेंगे।
मोदी बोले, नई ऊंचाई पर ले जाएंगे रणनीतिक साझेदारी:
ट्रंप के साथ अपनी मुलाकात के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'यह यात्रा और ट्रंप के साथ वार्ता दोनों देशों के सहयोग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पृष्ठ होगा। क्योंकि यह भारत और अमेरिका के बीच परस्पर सहयोग व सहभागिता की चरम सीमाओं की उपलब्धि पर केंद्रित है। हम रणनीतिक साझेदारी को नई उंचाई पर ले जाएंगे। जो उत्पादकता बढ़ाने, रोजगार सृजन और नई तकनीक पर आधारित होगी। ट्रंप ने भी भारत के साथ दोस्ती के कसीदे पढ़े और कहा कि भारत-अमेरिका के बीच इतने मजबूत रिश्ते पहले कभी नहीं रहे हैं। उन्होंने भी रोजगार बढ़ाने और आतंकवाद का सफाया करने के लिए भारत के साथ मिल जुलकर काम करने की बात कही।
नहीं उठा एच-1बी वीजा का मसला:
दोनो नेताओं ने एक दूसरे को चुभने वाले मुद्दों जैसे एच-1बी वीजा और पेरिस समझौते को नहीं उठाया। हालांकि माना जा रहा है कि ये मुद्दे जल्द ही होने वाली रणनीतिक व वाणिज्यिक वार्ता में उठाए जाएंगे।
भारत समेत पूरे यूरोप पर साइबर हमलाInternational News inextlive from World News Desk
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