न्यूयॉर्क (एएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से अलग हटकर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से न्यूयॉर्क में मुलाकात की।भारत की तरफ से पीएम मोदी के अलावा विदेश राज्य मंत्री वी। मुरलीधरन और विदेश सचिव विजय गोखले भी बैठक के दौरान मौजूद थे, जबकि ईरान की तरफ से उनके विदेश मंत्री जवाद जरीफ और अन्य प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए थे। अमेरिका और ईरान के बीच तनावपूर्ण रिश्ते को देखते हुए इस मुलाकात के खास मायने हैं। इस मुलाकात से अमेरिका समेत अन्य देशों को साफ संदेश भी दे दिया गया है कि भारत किसी भी दबाव में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति से नहीं डिगेगा।
पीएमओ ने ट्वीट कर दी जानकारी
बता दें कि पीएमओ ने ट्वीट कर दोनों नेताओं की मुलाकात के बारे में बताया। वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय हालात पर चर्चा हुई। इस मुलाकात के बाद जारी बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने यह माना कि भारत और ईरान के बीच बहुत पुराने संबंध हैं। दोनों नेताओं ने 2015 में उफा में हुई मुलाकात के बाद आपसी संबंधों की प्रगति की भी समीक्षा की। दोनों के बीच खासकर चाबहार पोर्ट को लेकर भी चर्चा हुई और अफगानिस्तान व मध्य एशिया क्षेत्र के लिए प्रवेश द्वार के तौर पर इसके महत्व को भी स्वीकार किया।
70वें स्थापना दिवस को मनाने पर भी सहमति बनी
प्रधानमंत्री मोदी ने खाड़ी क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए कूटनीति, संवाद और विश्वास बढ़ाने वाले उपायों को प्राथमिकता देने के भारत के समर्थन को भी दोहराया। दोनों देशों के बीच 2020 में राजनयिक संबंधों के 70वें स्थापना दिवस को मनाने पर भी सहमति बनी। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और रूहानी की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पिछले कुछ दिनों में दो बार मुलाकात हो चुकी है। वहीं, रूहानी और ट्रंप अभी तक कोई भी मुलाकात नहीं हुई और आगे भी नहीं होने की संभावना है।
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अमेरिका और ईरान के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण
अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान के साथ उसके संबंध भी बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। अमेरिका ने परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान के खिलाफ पाबंदियां लगा रखी हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत ने भी ईरान से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात बंद कर दिया है। ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर था।
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