पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। इस माह 10 सितम्बर से 25 सितम्बर 2022 तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। श्राद्ध पक्ष आश्विन कृष्णपक्ष क़ी प्रतिपदा से आश्विन अमावस्या तक होता है। भाद्रशुक्ल पूर्णिमा पर पूर्णिमा एवं पौष्ठपदी का श्राद्ध होने से इसे भी महालय पर्व में सम्मिलित किया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा से सप्तमी तक के श्राद्ध सूर्योदय व्यपिनी तिथि से एक दिन पूर्व रहेंगे। पावर्ण श्राद्ध अपराह्न व्यपिनी पुण्य तिथि पर ही सम्पन्न किये जाते हैं। इसलिए 10 सितम्बर को पूर्णिमा एवं प्रतिपदा का श्राद्ध संपन्न किया जायेगा।
1.प्रोष्ठपदी(पूर्णिमा)श्राद्ध(भाद्र शुक्ल पूर्णिमा)/प्रतिपदा का महालय श्राद्ध:-
दिनाँक 10 सितंबर 2022,शनिवार को ही मान्य होगा,क्योंकि *यह पार्वण श्राद्ध है,पूर्णिमा का श्राद्ध पूर्णिमा को ही होना चाहिए। शास्त्र नियम के अनुसार सभी पावर्ण-महालय श्राद्ध अपराह्न व्यापिनी भाद्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन इसे करने का विधान है परन्तु इस वर्ष आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 11 सितंबर 2022,रविवार को अपराह्न प्रारम्भ होने से पूर्व ही समाप्त हो रही है जिससे यह इस दिन अपराह्न व्यपिनी नहीं है। यह तिथि 10 सितम्बर 2022 को ही अपराह्न व्यपिनी है अतः इस तिथि पर (प्रतिपदा )का यह श्राद्ध 10 सितम्बर 2022 शनिवार (पूर्णिमा श्राद्ध वाले दिन )को ही संपन्न किया जाना चाहिए क्योंकि प्रतिपदा तिथि अपराह्न 3:29 बज़े से सांय 4:06 बज़े तक अपराह्न व्यपिनी होगी। इस दिन सन्यासियों का चातुर्मास समाप्त होगा।
--आश्विन कृष्णपक्ष आरम्भ,पितृ पक्ष आरम्भ--
2.द्वितीया का महालय श्राद्ध(11 सितम्बर 2022, रविवार :--
आश्विन कृष्ण पक्ष(पितृ-पक्ष) में आत्मीय मृत व्यक्ति की जो तिथि आये,उस तिथि में पार्वण श्राद्ध करने का विधान है।पार्वण श्राद्ध में पिता,पितामह,प्रपितामह, सपत्नीक अर्थात माता,दादा और परदादी सहित छ: जनों का श्राद्ध होता है इन्हें अपराह्न-व्यापिनी मृत्यु तिथि के दिन ही करना चाहिए। शास्त्र के अनुसार यदि मृत्यु तिथि अपराह्न काल को दो दिन असमान रूप से व्याप्त हो अर्थात एक दिन अधिक दूसरे दिन कम समय के लिए व्याप्त करे तो वहां अधिक अपराह्न काल-व्याप्ति वाले दिन श्राद्ध किया जाता है द्वितीया का श्राद्ध इस वर्ष 11 सितंबर 2022,रविवार को ही मान्य होगा क्योंकि इस वर्ष कृष्ण द्वितिया 11 सितम्बर रविवार को सम्पूर्ण अपराह्न काल को स्पर्श कर रही है जबकि 12 सितम्बर 2022, सोमवार को माध्यन्ह से भी पहले पूर्वाहन 11:36 बज़े समाप्त हो रही है अतः द्वितिया तिथि का पावर्ण श्राद्ध 11 सितम्बर 2022, रविवार को होगा। इस दिन 11 सितम्बर 2022, को अपराह्न काल लगभग अपराह्न 1:38 बज़े से सांय 4:06 बज़े तक होगा।
3.तृतीया का श्राद्ध:-- तृतीया का श्राद्ध दिनाँक 12सिंतबर 2022, सोमवार को शास्त्र सम्मत मान्य होगा
4.चतुर्थी का महालय श्राद्ध:--13 सितंबर 2022,मंगलवार को मान्य होगा।
5.पंचमी का श्राद्ध(भरणी का श्राद्ध ):- 14 सितंबर 2022,बुधवार
6.षष्ठी का श्राद्ध(कृतिका का श्राद्ध ):- 15 सितेम्बर 2022,गुरुवार )
7.सप्तमी का श्राद्ध:- 16 सितम्बर 2022,शुक्रवार
शास्त्र अनुसार यदि मृत्यु तिथि अपराह्न काल को दो दिन असमान रूप से व्याप्त हो अर्थात एक दिन अधिक एवं दूसरे दिन कम व्याप्त करे तब अधिक अपराह्न काल-व्याप्ति वाले दिन श्राद्ध किया जाता है इस वर्ष आश्विन कृष्ण सप्तमी दो दिन(16 एवं 17 सितम्बर 2022 को )अपराह्न व्यपिनी है। अतः सप्तमी तिथि का श्राद्ध 16 सितम्बर 2022 को होग़ा क्योंकि इस दिन सप्तमी तिथि सम्पूर्ण अपराह्न काल को व्याप्त कर रही है। अतः स्पष्ट है कि दिनाँक 17 सितम्बर 2022 को कोई भी महालय श्राद्ध नहीं होग़ा।
8.श्राद्ध अवकाश(17 सितम्बर 2022, शनिवार
विशेष :- इस वर्ष श्राद्ध पक्ष में 17 सितम्बर 2022 को तिथि श्राद्ध नहीं है परन्तु जो लोग किसी कारणवश 16 सितम्बर 2022, शुक्रवार को सप्तमी का श्राद्ध न कर सकें वह दिनांक 17 सितम्बर 2022, शनिवार को भी अपरान्ह 1:36 बज़े से 2:15 बज़े तक श्राद्ध कार्य कर सकते हैं।
9.अष्टमी का श्राद्ध(18 सितम्बर 2022, रविवार)
इस वर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी 17 एवं 18 सितम्बर 2022 को दोनों दिन अपराह्न व्यपिनी है।17 सितम्बर 2022 को अपराह्न 1:29 बज़े से 3:55 बज़े तक अपराह्न काल है तथा इस दिन यह तिथि अपराह्न 2:14 बज़े के बाद प्रारम्भ होकर अपराह्न काल को व्याप्त करेंगी परन्तु अगले दिन 18 सितम्बर 2022 को यह अष्टमी तिथि पूर्ण अपराह्न व्यपिनी है।18 सितम्बर 2022 को अपराह्न काल अपराह्न 1:29 बज़े से 3:55 बज़े तक रहेगा। दोनों दिन यह तिथि आसमानान्तर से अपराह्न व्यपिनी होने से अधिक पूर्ण व्याप्ति वाले दिन अर्थात 18 सितम्बर 2022 को अष्टमी का श्राद्ध होग़ा।
10.नवमी का श्राद्ध(मातृ-नवमी)सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध :- 19 सितेम्बर 2022,सोमवार
11.दशमी का श्राद्ध:-20 सितम्बर 2022,मंगलवार
12.एकादशी का श्राद्ध:- 21 सितम्बर 2022,बुधवार
13.द्वादशी का श्राद्ध,( सन्यासियों का श्राद्ध):-22 सितम्बर 2022, गुरुवार
14.त्रियोदशी का श्राद्ध(मघा-श्राद्ध):-23 सितम्बर 2022,शुक्रवार
आश्विन कृष्ण त्रयोदशी में पितृ श्राद्ध का विशेष महात्म्य है।यदि इस दिन अपराह्न काल के समय मघा नक्षत्र व्याप्त हो तो पितृ तर्पण,श्राद्ध,शांति के लिए विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।
15.चतुर्दशी का श्राद्ध(मृतकों के श्राद्ध(शस्त्र-विष-दुर्घटना आदि में मृत्य) :-24 सितम्बर 2022,शनिवार ।
16. *महालय अमावस्या श्राद्ध , सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या।
विशेष:- सर्व पितृ श्राद्ध के दिन ज्ञात-अज्ञात तिथियों में मृतकजनों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से पितरों की शांति तथा श्राद्धकर्म कर्ता के घर में सुख-शांति एवं पारिवारिक सौभाग्य में वृध्दि होती है।शास्त्रों में अपराह्न काल "कुतप काल" में श्राद्ध कर्म करने का विधान है।इस दिन ब्राह्मण भोजन,दानादि के बाद गौ ग्रास एवं पीपल पर जल-तिलाञ्जलि करना शुभ होता है।सांयकाल गृहद्वार के बाहर दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा पूर्वक पितृ विसर्जन करना चाहिए।