साउथ अमेरिकी देश कोलम्बिया के सबसे गरीब जिले मेडलिन के बारह हजार लोग जो इस हिलसाइड के निचले इलाकों में रहते हैं और उन्हे आने जाने के लिए लगभग 28 मंजिला ऊँचाई के बराबर सीढि़यां चढ़नी पड़ती थीं. सरकार द्वारा उनकी सुविधा के लिए लगाए गए इस एसक्लेटर से लोगों का समय काफी बच गया और और अब उन्हे 35 मिनट की बजाय सिर्फ 6 मिनट लगते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सुविधा एक सपने की तरह है जो सच हो गया है.
तस्वीरें: दुनिया के कुछ सबसे अमेजिंग एस्कलेटर
ताईवान के Hualien Farglory ocean पार्क में एक ऐसा एयरटाइट एसक्लेटर लगाया गया है जो यहां के सबसे बड़े अक्वेरियम से होकर गुजरता है. लोगों के ऊपर और नीचे शार्क और दूसरे समुद्री जीव तैरते रहते हैं. इस एसक्लेटर की सबसे खास बात यह है कि इसकी स्पीड और मूवमेट फिक्स नहीं है और इसमे चढ़ने वाले पैसेंजर्स एक एक कदम की स्पीड से एसक्लेटर को ऊपर नीचे करके यहां के नजारे देख सकते हैं.
रूस की कैपिटल मॉस्को के एक शॉपिंग मॉल (Evropeisky Mall) में क्रिसक्रॉस डिजाइन वाला ग्लोइंग एसक्लेटर लगा है. इस एसक्लेटर का ऐसा क्रिसक्रॉस डिजाइन मॉल में जगह का बेहतर उपयोग करने के लिए किया गया है और आज यह एसक्लेटर अपने खास लुक के कारण दुनिया भर में चर्चित है.
हॉंग कॉंग के स्मार्ट रिहायशी इलाके में लगा यह एसक्लेटर दुनिया का सबसे लम्बा आउटडोर एसक्लेटर है. यह एसक्लेटर कुल 800 मीटर की दूरी तय करता है और लोगों को नीचे से करीब 135 मीटर ऊपर ले जाता है. इस पूरे एसक्लेटर सिस्टम में तमाम फुटब्रिज और दरवाजे हैं और इसका पूरा सफर करीब 20 मिनट में पूरा होता है.
इंडिया में तो शापिंग मॉल और कुछ खास रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट्स पर ही एसक्लेटर लगे होते हैं, लेकिन यह देखिए सिंगापुर के नेशनल म्यूजियम के बगल में मौजूद फोर्ट कैनिंग पार्क में लगा यह शानदार आउटडोर एसक्लेटर आपको पार्क घूमने के लिए ही बुला रहा है. तो आइए चलकर देखते हैं.
नॉर्वे में साइकिलिंग बहुत पॉपुलर है और लोग अपने जरूरी कामकाज भी साइकिल से ही निपटाते हैं. यहां की ट्रॉन्ढीम सिटी में एक ऊँची पहाड़ी है जिस पर साइकिल से चढ़ना काफी मुश्किल भरा था, तो यहां पर दुनिया की ऐसी पहली एसक्लेटर लगाई गई जो साइकिलिस्ट को पहाड़ी पर पहुंचाती है. 1993 में लगाया गया यह एसक्लेटर आज एक टूरिस्ट अट्रैक्शन बन गया है. हालांकि 2012 में पुराने एसक्लेटर को हटाकर काफी सेफ और बेहतर CycloCable लगाया गया जो साइकिलिस्ट को 130 मीटर ऊँची पहाड़ी पर चढ़ने में मदद करता है.
दुनिया भर में लगने वाले एसक्लेटर की लम्बाई चौड़ाई लगभग बराबर है लेकिन कावासाकी जापान के मोरे डिपार्टमेंटल स्टोर में विश्व का सबसे छोटा एसक्लेटर मौजूद है. इस एसक्लेटर पर सिर्फ 5 सीढ़यां है और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में यह एसक्लेटर 32.8 इंच की लम्बाई के साथ दुनिया के सबसे छोटे एसक्लेटर के तौर पर दर्ज है.
आपने आज तक जितने भी एसक्लेटर देखे होंगे, सभी स्टील और प्लास्टिक के कॉम्बीनेशन से बने होते हैं लेकिन न्यूयॉर्क सिटी में मैनहैट्टन के मैसी हेराल्ड स्क्वायर में दुनिया का एकमात्र लकड़ी से बना एसक्लेटर लगा है. मैसी हेराल्ड स्क्वायर वो इमारत है जहां 1902 में दुनिया का पहला मॉडर्न एसक्लेटर लगाया गया और जो आज भी काम कर रहा है.
दुनिया भर में लगने वाले लगभग सभी एसक्लेटर सीधे होते हैं और उनमें कोई मोड़ नहीं होता, लेकिन टोक्यो के मीहा तमूरा कुछ कूल एसक्लेटर डिजाइन पर काम कर रहे थे. उन्ही के प्रयास से ओसाका में दुनिया का पहला स्पाइरल यानि घुमावदार एसक्लेटर लगाया गया. 1980 में जापान में पहला स्पाइरल एसक्लेटर लगाने के बाद मित्सुबिशी कम्पनी ने इस डिजाइन के एसक्लेटर बेचना शुरू कर दिया, हालांकि इनकी पॉपुलैरिटी आज भी कम है.
दुनिया के सबसे गहराई में स्थित मेट्रो स्टेशन मॉस्को के 'पार्क पोबेडी' तक जाने के लिए लोगों को 84 मीटर लगभग 28 मंजिला इमारत के बराबर उतरना पड़ता है, इसलिए यहां यूरोप का सबसे लम्बा एसक्लेटर लगाया गया है. इस स्टेशन पर लगे सभी एसक्लेटर की लम्बाई 126 मीटर है जिनमें 740 सीढ़ियां है.