फिर से पड़ी खटास :महागठबंधन को अभी दो साल ही हुए थे कि लालू-नीतीश के बीच मतभेद शुरु हो गए। सितंबर 2016 में नीतीश कुमार ने आरजेडी से उलट सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया। इसके बाद नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी का समर्थन किया। यहीं से नीतीश, लालू से दूर जाने लगे और बीजेपी के करीब होते गए।
तस्वीरों में देखें कैसे परवान चढ़ी थी नीतीश और लालू की दोस्ती
1970 में शुरु हुई थी ये दास्तांन :लालू-नीतीश के रिश्ते की कहानी किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं है। 1970 के दशक में लालू और नीतीश पहली बार जयप्रकाश नारायण के सोशलिस्ट आंदोलन के दौरान साथ आए। उस वक्त दोनों नेता राजनीति के गुर सीखने में लगे थे। पिछले चार दशकों में दोनों महारथी सत्ता के सारे दांव पेंच सीखकर अब एक-दूसरे से खेल खेलने लगे हैं।
लालू को पहली बार बनवाया मुख्यमंत्री :बात 1990 की है बिहार की राजगद्दी पर बैठने का सपना लिए लालू-नीतीश की जोड़ी विधानसभा चुनाव में उतरी। इस चुनाव में जनता दल को बहुमत मिला। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नीतीश कुमार ने लालू की पूरी मदद की और लालू पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। नीतीश कुमार बिहार के लालू के अहम सलाहकार के रूप में उभरे।
दो साल बाद हो गया मनमुटाव :लालू को मुख्यमंत्री बने अभी दो साल ही हुए थे कि 1994 में नीतीश और लालू के बीच मनमुटाव हो गया। कथित तौर पर नौकरियों में एक जाति को प्राथमिकता देने और ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार की वजह से नीतीश कुमार मौजूदा राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू से नाराज थे। नीतीश लालू के खिलाफ बगावत करने वाले खेमे में शामिल हो गए।
लालू-नीतीश का बना गठबंधन :जुलाई 2014 में नीतीश कुमार ने लालू के साथ मिलकर गठबंधन का ऐलान किया। 20 साल बाद दोनों नेता गले मिले और फिर महागठबंधन की नींव पड़ी। कांग्रेस भी साथ आई और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को करारी मात दी।
लागू गए जेल, राबड़ी बनी मुख्यमंत्री :1996-97 में पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाले में सीबीआई जांच के आदेश दिए। लालू को सत्ता गंवानी पड़ी। जेल भी गए। कहा जाता है कि मामले में जांच के लिए दाखिल याचिका के पीछे नीतीश कुमार का बड़ा हाथ था। हालांकि लालू ने जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया। अगले विधानसभा चुनाव में भी वे बाजी मार ले गए।
लालू को मात देकर पहली बार मुख्यमंत्री बने नीतीश :2005 विधानसभा चुनाव से ठीक दो साल पहले नीतीश ने शरद यादव के जनता दल और अपनी पार्टी समता पार्टी का विलय करके जनता दल यूनाइटेड का गठन किया। और बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर लालू से सत्ता छीनी। नीतीश पहली बार मुख्यमंत्री बने।
बीजेपी से अलग हुए नीतीश :जून 2013 में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित किए जाने पर बीजेपी से अपना 17 वर्ष पुराना नाता तोड़ लिया। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश को केवल दो सीटें से संतोष करना पड़ा जबकि लालू के खाते में चार सीटें गईं।
नीतीश से बनाई अलग पार्टी1994 में नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडीज के साथ मिलकर समता पार्टी बनाकर लालू से अलग राह जुदा कर ली। लेकिन उनका यह दांव कामयाब नहीं हुआ। 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश को केवल सात सीटें मिली, जबकि लालू दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने।