स्वामी विवेकानंद :1863 में एक संत का जन्म हुआ। इनका नाम पड़ा विवेकानंद। अपने गुरु रामकृष्णा के संरक्षण में विवेकानंद ने भगवान की सच्चाई की खोज की। बेदांता के वकील के तौर पर उन्होंने लोगों को बताया कि भगवान की सेवा करने का सबसे अच्छा तरीका है मानवता की सेवा करना। विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म संसद में हिंदू धर्म को एक विश्व धर्म बनाकर प्रस्तुत किया।
तस्वीरों में देखें, आध्यात्म की दुनिया से जोड़ने वाले प्रमुख 10 गुरुओं को
श्री श्री रविशंकर :श्री श्री रविशंकर भारत के महान गुरुओं में से एक हैं। इन्होंने 'आर्ट ऑफ लिविंग' नामक कोर्स की नींव डाली। अब इनके इस कोर्स का अनुसरण करने वाले अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हैं। अपने इस कोर्स के जरिए वह लोगों को जीवन में संतुष्ट और खुश रहना सिखाते हैं। इसके अलावा वह शिक्षा देते हैं कि हम चीज में भगवान को देखो। इनको देश के पांच प्रमुख लीडर्स में से एक गिना जाता है।
बाबा रामदेव :बीते कुछ दिनों में बतौर योग गुरु बाबा रामदेव ने अपना नाम काफी प्रतिष्ठित कर लिया है। अब पूरे देशभर में बड़ी संख्या में इनके अनुयायी हैं। ये अनुयायी बीते लंबे समय से इनकी बताई बातों और योग का पालन कर रहे हैं। इन्होंने पूरे देशभर में लोगों को योग से अपना भक्त बना लिया है। ये वो योग है, जो बड़े से बड़े असाध्य रोगों को हमसे दूर रखता है।
दादी जानकी :ब्रह्म कुमारी एक ऐसा आध्यात्मिक विश्वविद्यालय है, जो लोगों को राज योग के बारे में शिक्षा देता हे। यह भारत में एक तरह का नया धार्मिक आंदोलन है, जो महिला द्वारा केंद्रित है। इस आंदोलन की वर्तमान मुखिया हैं दादी जानकी। दादी जानकी का कहना है कि शिव मानवता के प्रभु हैं। इसके अलावा वो उस दिव्य शक्ति के बारे में बताती हैं, जो इंसान को मानवता के उसी प्रभु शिव से जोड़ती है।
स्वामी रामा :स्वामी रामा वो पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने योग को लोकप्रिय संस्कृति के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने यूएसए के मैनिगर क्लीनिक में पढ़ाई की और यकीन मानिए यहां पढ़कर इन्होंने अपनी हृदय गति, शारीरिक तापमान और ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण पाना सीख लिया। इसके बाद इन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ योग साइंस एंड फिलॉस्फी को खोला। इस इंस्टीट्यूट में लोगों को फिट रहना और मन की शांति के लिए मेडिटेशन सीखाई जाती है।
श्री रामकृष्ण परमहंस :रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं। ऐसे में ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं। वे ईश्वर तक पहुंचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं।
माता अमृतानंदमयी :माता अमृतानंदमयी देवी एक हिन्दू आध्यात्मिक नेत्री व गुरु हैं। इन्हें उनके अनुयायी संत के रूप में सम्मान देते हैं और 'अम्मा', 'अम्माची' या 'मां' के नाम से भी जानते हैं। उनकी मानवतावादी गतिविधियों के लिए उन्हें व्यापक स्तर पर सम्मान प्राप्त है। इनके भी लाखों से ज्यादा अनुयायी पूरी दुनिया में मौजूद हैं। इन्होंने लोगों की अच्छाई और मानवता की सेवा करने के लिए कोच्चि, कोल्लम, मैसूर, बेंगलूर और कोयम्बटूर में कई अस्पताल और स्कूल भी खुलवाए हैं।
ओशो :धार्मिक गुरु ओशो का नाम तो काफी चर्चा में रहा है। समाजवाद से जुड़े अपने विचारों और कई चीजों के बारे में खुलकर बोलने को लेकर ओशो काफी विवादास्पद गुरु रहे हैं। इन विचारों के साथ भी ओशो अपने अनुयायियों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। बड़ी संख्या में इनके अनुयायी इनको मानते हैं।
सत्य साईं बाबा :पिछले लगभग 60 वर्षों से भारत के कुछ अत्याधिक प्रभावशाली अध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे सत्य साईं बाबा। सत्य साईं बाबा का बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था। करोड़ों की संख्या में अपने अनुयायियों के बीच ये काफी लोकप्रिय थे। इनके अनुसार सबसे बड़ी शक्ति से मिलने का सबसे आसान तरीका है सिर्फ और सिर्फ मानवता की सेवा करना। वैसे ये अपनी सिद्धी से भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। जैसे हवा से फूल, प्रसाद या अंगूठी ले आना और लोगों को बांटना।
जिद्दू कृष्णमूर्ति :कई बड़े जानकारों ने इस बात की भविष्यवाणी की थी कि भारत से एक युवा लड़का विश्व गुरु होने वाला है। इसको देखते हुए जिद्दू को उनके भाई के साथ थियोसोफिकल सोसायटी के अध्यक्ष ने गोद ले लिया। अब जिद्दू एक नए संगठन के बॉस बन गए। कुछ समय बाद लोगों को चौंकाते हुए वह इस उच्च पद का त्याग करके चले गए। इसके बाद कई शताब्दियों तक इन्होंने पूरी दुनिया का भ्रमण किया। कई धार्मिक और चौंकाने वाले सत्यों पर ढेरों किताबें लिखीं। उन्होंने परिसर में कभी भी धार्मिक सिद्धांतों, अनुष्ठान या काल्पनिक दर्शन के बारे में बात नहीं की। भारत के महान आध्यात्म गुरुओं में से एक जिद्दू कृष्णमूर्ति ने लोगों को अपने जीवन से जुड़ी ऐसे-ऐसे गुणों के बारे में बताया जो हमारे अंदर ही निहित होते हैं, लेकिन हम उन्हें पहचान ही नहीं पाते।