1- ट्रेपपिस्ट-1 प्लेनटनासा ने 22 फरवरी 2017 को एक ऐसा ग्रह ढूंढने का दावा किया है जिसका आकार पृथ्वी के जैसा ही है। इस ग्रह पर भी एक ही सूरज है। इन ग्रहों पर पानी होने की भी बात कही गई है।
रीयल कैनवास! तस्वीरों में देखिए अंतरिक्ष की बेशुमार खूबसूरती
2- केपलर्स लॉ1609 में जर्मन एस्ट्रोलाजर जोहान्सन केपलर ने खोज की थी कि ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं। सूर्य का चक्कर लगाने के लिये हर ग्रह का एक पथ निश्चित है। इस नियम को कैपलर नियम के नाम से जाना जाता है।
3- पिलर्स ऑफ क्रियेशन1 अप्रैल 1995 को नासा के हबल स्पेस टेलिस्कोप ने अंतरिक्ष की एक तस्वीर ली थी। इस तस्वीर को नासा ने पिलर्स ऑफ क्रियेशन का नाम दिया। तस्वीर में कुछ खंबे नजर आ रहे थे।
4- एक्सोप्लेनेट केपलर 452Bएक्सोप्लेनेट एक आकाशिय बॉडी होती है जो सूर्य के अलावा चमकती है। 15 फरवरी 2017 को एस्ट्रोनोमर्स ने 3500 ऐसे प्लेनेट 2687 आकाश गंगा में ढूंढे जिनका प्लेनेटरी सिस्टम 602 बार बदलता था।
5- ब्लैक होल्स1967 में जॉन व्हीलर ने आकाश गंगा में होने वाले काले धब्बों को ब्लैक होल नाम दिया। एस्ट्रोलाजर्स के लिये ब्लैक होल हमेशा से बहुत गंभीर विषय रहा है। ब्लैक होल की ये तस्वीर 2011 में ली गई थी।
11- शनि के छल्ले1665 में एक डच वैज्ञानिक क्रिस्टियान ह्यूगेंस ने पहली बार शनि के छल्लों को जिक्र किया था। शनि ग्रह की सबसे अद्भुत बात उसके छल्ले ही हैं। ये छल्ले गैसों के मिश्रण से बने हैं। 12- मार्स पर पानीमार्स पर गये कुछ यान और मार्स पर खीची गईं तस्वीरें ये साबित करती हैं कि मार्स पर पानी मौजूद है। 1970 में पहली बार मरेनियर 9 मिशन में इस बात का खुलासा हुआ था।
7- एस्टेरॉयडएस्टेरॉयड क्षुद्र ग्रहों को कहा जाता है जिनपर जीवन की संभावना का कोई अर्थ नही होता है। मार्स और ज्यूपिटर के बीच में ऐसे ग्रहों की कतार है जिसकी खोज इटेलियन एस्ट्रोनॉमर ने पियाज्जी ने 1 जनवरी 1801 को की थी।
8- यूरेनस की खोज1781 में जर्मन ब्रिटशि एस्ट्रोनॉमर विलियम हार्सचले ने यूरेनस की खोज की थी। यह ग्रह गैसों से भरा हुआ था। जिसकी वजह से यह अपने रंग में परिवर्तन कर सकता था। ग्रह का रंग गैसों का अस्तित्व बताता है। इस फोटो को हबल स्पेस टेलिस्कोप से लिया गया है।
9- गीजरनासा के कैमरों ने गीजर की तस्वीरें ली हैं जो किसी जेट की तरह गर्म पानी छोड़ते हैं। 2005 में मून के साउथ पोल के पास ये तस्वीरें ली गई थीं।
10- ज्यूपिटर का लाल धब्बाज्यूपिटर ग्रह पर दिखने वाला लाल धब्बा असल में तूफान होता है। ज्यूपिटर पृथ्वी से बहुत बड़ा ग्रह है। ज्यूपिटर के लाल धब्बों को पहली बार राबर्ट हुक ने 1664 में देखा था।
6- हैली कॉमेटइंग्लिश एस्ट्रोनॉमर एडमंड हिलेरी के नाम पर तारों की बारिश को हैली कॉमेट नाम दिया गया। ये कॉमेट हर 76 वर्ष में एक बार पृथ्वी पर दिखाई देता है। 1986 में यूएस के केलीफोर्निया से इस तस्वीर को लिया गया था।