तुलबू नाम का उपनाम:आरडी बर्मन से ज्यादा उनका उपनाम पंचम दा पॉपुलर हुआ। इसके अलावा उनकी दादी मां ने भी उन्हें तुलबू नाम का उपनाम दिया था।
देखें मशहूर संगीतकार 'पंचम दा'की ये खास तस्वीरें...
सरगम का पांचवा स्वर 'पा': आरडी बर्मन के पंचम दा नाम के पीछे भी एक बड़ी बात है। कहा जाता है कि जब वह पैदा हुए तब वह बार-बार सरगम का पाचवा स्वर 'पा' दोहरा रहे हैं, तभी उन्होंने उनका नाम 'पंचम' रख दिया।
जब 9 साल के थे:आरडी बर्मन जब 9 साल के थे तभी उन्होंने पहला संगीत 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ'कंपोज किया, जिसे उनके पिता सचिन देव बर्मन ने फिल्म 'फंटूश' में ने इस्तेमाल किया।
फिल्म 'प्यासा' में लिया: इसके बाद इसी छोटी उम्र में ही पंचम दा 'सर जो तेरा चकराये' की धुन तैयार किया। जो काफी पॉपुलर हुई थी। उनकी इस धुन को गुरुदत्त की फिल्म 'प्यासा' में लिया गया।
विरासत को संभाला:राहुलदेव बर्मन यानी कि आरडी बर्मन भी पिता सचिन देव बर्मन हिन्दी और बांग्ला फिल्मों के विख्यात संगीतकार और गायक थे। उनकी मां मीरा भी एक मशहूर गीतकार थीं। ऐसे में आरडी बर्मन ने भी मां पिता की विरासत को बेहतर तरीके से संभाला।
लता मंगेशकर के साथ भी:पंचम दा ने अपने पिता की धुनों को भी अपनी आवाज में गाया था। उन्होंने 1958 में आई फिल्म में सोलवां साल में है अपना दिल तो अवारा को अपनी आवाज दी।इतना ही नहीं पंचम दा ने लता मंगेशकर के साथ 'बाहों में चले आओ।', 'तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया'जैसे बेहतरीन गाने रिकॉर्ड किए
फिल्म अधूरी ही रह गई: आरडी बर्मन ने 1959 में पहली बार फिल्म राजा से म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में शुरूआत की थी। यह फिल्म गुरूदत्त के सहायक निरंजन ने डायरेक्ट की थी, लेकिन दुर्भाग्य यह फिल्म अधूरी ही रह गई। पंचम दा ने करीब 300 से अधिक फिल्मों में अपना संगीत दिया था।
1942 अ लव स्टोरी:संगीतकार आर डी वर्मन की बतौर संगीतकार अंतिम फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' थी। इसके पहले उन्होंने यादों की बारात, हीरा पन्ना, अनामिका आदि जैसे कई बड़ी फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया था।
अंतिम सांस ली: 27 जून, 1939 को कोलकाता में जन्में पंचम दा की शादी लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसलें के साथ हुई थी। पंचम दा ने 4 जनवरी 1994 को अंतिम सांस ली थी।
संगीत सहायक के रुप में:आर डी बर्मन के करियर की शुरूआत बतौर पिता के संगीत सहायक के रुप में हुई। इसके बाद उन्होंने अपने फिल्मी करियर में हिन्दी के अलावा बंगला, तमिल, तेलगु, और मराठी में भी काम किया। इतना ही नहीं साथ ही उन्होंने अपनी आवाज का जादू से भी लोगों को शॉक्ड किया। उन्होंने फिल्म शोले में 'महबूबा-महबूबा' गाने को अपनी आवाज दी।