युवक जब रंगों की पिचकारियां लिए बरसाना आते हैं तो उनपर यहां की महिलायें उन पर खूब लाठियां बरसाती हैं। पुरुषों को इन लाठियों से बचना होता है और महिलाओं को रंगों से भिगोना भी होता है। फोटो : वैभव शुक्ला
Barsane Ki Lathmar Holi 2021 Pics: तस्वीरों में देखें बरसाने में कैसे मनाई गई लठमार होली
मथुरा के बरसाना गांव में होली की शुरूआत एक अलग अंदाज में होती है। इसका नाम है लठमार होली और ये ब्रज क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। फोटो : वैभव शुक्ला
लठमार होली को भगवान श्री कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़कर देखा जाता है। ब्रज में होली की अलग धूम रहती है, उस पर से लठमार होली का रंग तो बिलकुल हट कर होता है। फोटो : वैभव शुक्ला
इस अवसर पर नंदगांव के पुरूष और बरसाने की महिलाएं मुख्य रूप से भाग लेते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाने की इसीलिए नंदगांव के युवकों की टोलियां कान्हा का और बरसाने की युवतियां राधा जी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना के पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलने बरसाना गांव में आते हैं। इन पुरूषों को होरियारे कहा जाता है। फोटो : वैभव शुक्ला
बरसाना की लठमार होली के बाद अगले दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंचते हैं। इन गांवों के लोगों का विश्वास है कि होली का लाठियों से किसी को चोट नहीं लगती है। फोटो : वैभव शुक्ला
लठमार होली का आयोजन होलिका दहन से पहले ही हो जाता है। यह फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। फोटो : वैभव शुक्ला
लठमार होली पर महिलाएं सिर्फ लठ ही नहीं मारती बल्कि त्यौहार के इस मौसम में डांस और गीतों से भी माहौल को खुशनुमा बनाया जाता है। कई कीर्तन मण्डलियां राधा और कृष्ण से जुड़े लोक गीत ‘होरी’ गा कर रंग जमाती हैं। फोटो : वैभव शुक्ला
लठमार होली पर महिलाएं सिर्फ लठ ही नहीं मारती बल्कि त्यौहार के इस मौसम में डांस और गीतों से भी माहौल को खुशनुमा बनाया जाता है। कई कीर्तन मण्डलियां राधा और कृष्ण से जुड़े लोक गीत ‘होरी’ गा कर रंग जमाती हैं। फोटो : वैभव शुक्ला
माना जाता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी प्रकार कमर में फेंटा लगाए राधारानी और उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे जिस पर वे ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। फोटो : वैभव शुक्ला
माना जाता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी प्रकार कमर में फेंटा लगाए राधारानी और उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे जिस पर वे ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं।
बरसाने की होली के अलावा वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली भी बहुत फेमस है।
होली पर यहां कई कार्यक्रम होते हैं, हालांकि इस साल कोरोना के चलते सार्वजनिक आयोजनों पर रोक है। मगर वृंदावन की होली की छटा अलग ही रहती है।
लठमार होली पर लठ से बचते हुए एक युवक। फोटो : वैभव शुक्ला
फोटो : वैभव शुक्ला