मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (RJIL) अपनी 4G सर्विस स्टार्ट कर रही है, लेकिन शुरू होने के पहले ही इसके साथ कंट्रोवर्सी स्टार्ट हो गयी है. पता चला है कि एक एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन फाइल करके इस पर इररेग्युलेरिटी का एलिगेशन लगाया है. इस पिटीशन में कंपनी को ब्रॉड बैंड स्पेक्ट्रम पर वाइस सर्विस की परमीशन कैंसल करने और पूरे केस का इन्वे्स्टिगेशन सीबीआई को भी हैंडओवर करने की रिक्वेस्ट की है. दूसरी तरफ कोर्ट ने भी मामले को सेंट्रल गवरन्मेंट और ट्राई के साथ ही रिलायंस जियो को नोटिस जारी कर दिया.

 

ये है मामला

अब तक र्सोसेज से मिली जानकारी के हिसाब से साल 2010 के दौरान ऑक्शन में इन्फोटेल ब्रॉड बैंड सर्विस लिमिटेड ने पैन इंडिया 4G का लायसेंस हासिल किया था, लेकिन इसके बाद ही मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने इस कंपनी को एक्वॉयर कर लिया और इसके बाद ही पैन इंडियन 4G का लायसेंस अचीव करने वाली इंडिया की पहली कंपनी बन गई.

 

बताया गया है कि लास्ट ईयर मार्च में रिलायंस जियो ने नॉमिनल टैक्स देकर समान डाटा बैंड पर वाइस सर्विस स्टार्ट करने की भी परमीशन ले ली थी. जिस प्राइज को देकर परमीशन ली गई थी, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया था. एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में फाइल पिटीशन में कहा है कि रिलायंस जियो की वाइस सर्विस शुरू करने के लिये दी गई सरकारी परमीशन को कैंसल किया जाये.

इस बीच रिलायंस जियो के स्पोक्समैन ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि कंपनी को अभी तक कोर्ट की तरफ कोई नोटिस नहीं मिला है और ये कंट्रोवर्सी उन कोशिशों पर एक और अटैक है जो कंपनी कंट्री में डेवलपमेंट के लिए करती रहती है.

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