लैब में आइए और नींद घर ले जाइए
स्लीपिंग डिसआर्डर यानी अनिद्रा एक गंभीर समस्या है। औसतन हर तीसरा आदमी इस बीमारी से पीड़ित है। पर्याप्त नींद न मिल पाने के कारण लोगों का स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे में मॉर्डन स्लीपिंग लैब ही एक सहारा है। यहां लोगों को नींद खरीदनी पड़ती है। चैन की नींद पाने के लिए ये लोग 15 से 25 हजार रुपये तक खर्च करने को तैयार हैं। इन लैब में एक्सपर्ट और डॉक्टर्स नींद न आने का कारण पता करते हैं और फिर उसका हल निकालते हैं।
भारत में हैं ऐसी कई लैब
नींद से जुड़े सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद इन स्लीपिंग लैब्स का चलन शुरु हुआ है। नींद न आना और उससे जुड़ी तमाम समस्याओं को जानने की एक प्रक्रिया होती है, जिसे स्लीप स्टडी कहा जाता है। स्लीपिंग लैब में एक्सपर्ट और न्यूरोलॉजिस्ट भी यही काम करते हैं। भारत में भी इस तरह की कई लैब खुली हैं। ये प्राइवेट लैब लोगों को अनिद्रा से बचने का उपाय बताती हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में तकरीबन 30 बड़ी और छोटी स्लीपिंग लैब हैं। यहां हर साल 3 से 4 हजार लोगों को नींद दिलाने में मदद की जाती है।
कैसे किया जाता है टेस्ट
नींद न आने के कई कारण होते हैं। कुछ लोग रात भर फोन या कंप्यूटर में लगे रहते हैं। तो कुछ खर्राटों की वजह से नहीं सो पाते हैं, वहीं कई पेशेंट ऐसे हैं जो डरावने सपने देखकर जग जाते हैं। इन लैब में इन्हीं सब समस्याओं का हल निकाला जाता है। पेशेंट को पहले परामर्श दी जाती है और फिर उसका इलाज होता है। इसमें उनके खानपान और दिनचर्या का स्लीपिंग टेस्ट भी किया जाता है। इस सब पर लगभग 15 हजार रुपये का खर्च आता है, कुछ जगहों पर यह 25 हजार तक पहुंच जाता है।
सुलाने की यह है प्रक्रिया
स्लीपिंग लैब में पेशेंट को रात 9 बजे के बाद बुलाया जाता है। उन्हें स्टैंडर्ड बिस्तर पर लेटाकर सोने को कहा जाता है। जिस समय व्यक्ित नींद ले रहा होता है। उनकी सांस, दिमाग और शरीर के अन्य हिस्सों की जांच की जाती है। पेशेंट के जागते ही मशीन अपनी रिपोर्ट दे देती है। स्लीपिंग एक्सपर्ट इस रिपोर्ट की जांच करके पेशेंट को नींद आने के बेहतर तरीकों के बारे में सलाह देते हैं। यह स्लीपिंग टेस्ट 90 परसेंट तक सही होता है।Interesting News inextlive from Interesting News Desk
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