यहां सदियों से एक साथ रहते हुए वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि बाहर की घटनाओं से उनकी सांप्रदायिक सौहार्द न प्रभावित होने पाए। पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची से मीठी 280 किलोमीटर दूर है।
70 फीसदी हिंदू
यह पाकिस्तान की उन चुनिंदा जगहों में से है जहां हिंदुओं की संख्या मुसलमानों से ज़्यादा है।
सरकारी अनुमान के मुताबिक, मीठी की आबादी करीब 87 हज़ार है, जिसमें से 70 फ़ीसदी हिंदू हैं।
थियेटर प्रोड्यूसर हाजी मोहम्मद दाल कहते हैं, "जब भी कोई धार्मिक त्योहार या सांस्कृतिक आयोजन होता है तो सब मिल-जुलकर हिस्सा लेते हैं।"
वह कहते हैं, "जब हिंदू दिवाली मनाते हैं तो हमें भी बुलाते हैं। जब हम ईद मनाते हैं तो उन्हें बुलाते हैं।"
रोजे भी रखते हैं हिंदू
वह बताते हैं कि मीठी में हिंदू लोग मुहर्रम के जुलूसों में हिस्सा लेते हैं और कई बार तो मुसलमानों के साथ रोज़े भी रखते हैं।
वहीं हिंदुओं के धर्म का सम्मान करते हुए यहां के मुसलमान गाय को नहीं काटते और बीफ़ भी नहीं खाते।
दाल कहते हैं, "1971 में भारतीय सेनाएं मीठी तक पहुंच गई थीं और हमें रातोरात यहां से भागना पड़ा था।"
उनके मुताबिक, "हमारे साथ रहने वाले सारे हिंदू इस बात से बहुत नाराज़ थे और उन्होंने हमें यहां वापस आकर रहने के लिए मनाया।"
हिंदू महिला ने दान दी मस्जिद के लिए जमीन
2001 में मीठी के जामा मस्जिद परिसर को पड़ोस की ज़मीन लेकर और बढ़ाने की योजना थी।
दाल बताते हैं, "उस घर में एक हिंदू महिला रहती थी। वह अपने आप मेरे पास आई और कहा कि उसकी ज़मीन मस्जिद के लिए ले ली जाए।"
दाल कहते हैं कि उसने अपनी ख़ुशी से अपनी ज़मीन मस्जिद के लिए दान में दे दी।
विशन थारी, जिन्हें सब 'मामा विशन' कहते हैं- थारपारकर में ब्लड डोनर्स का एक नेटवर्क चलाते हैं।
वह कहते हैं, "मुसलमान मेरी बहुत इज़्ज़त करते हैं और हमेशा बिना किसी भेदभाव के ख़ून देने को तैयार रहते हैं।"
विशन 2015 का वो समय याद करते हैं जब सिंधी गायक सादिक़ फक़ीर का निधन हुआ था।
वह बताते हैं, "उस दिन होली थी, लेकिन किसी ने रंग नहीं खेला, जश्न नहीं मनाया। ऐसा लगा कि पूरा शहर शोक मना रहा हो।"
एक ऐसा देश जहां आप ही नहीं स्विट्जरलैंड वाले भी रहना चाहते हैं! ये हैं खूबियां...
अनूठी मिसाल
मीठी के एक निजी स्कूल की प्राध्यापिका कमला पूनम हैदराबाद से आकर पाकिस्तान में बसी हैं।
वह कहती हैं, "लोग शुरू से यहां प्यार-मुहब्बत से रह रहे हैं। बुज़ुर्गों ने शांति की परंपरा को ज़िंदा रखा है। कभी कोई नौजवान हदें पार करता है तो उसे दोनों मजहबों के बड़े-बूढ़े ठीक कर देते हैं।"
एक संघर्ष के शिकार इलाक़े में मीठी शहर मजहबी एकता की अनूठी मिसाल बना हुआ है।
हाजी मोहम्मद दाल कहते हैं, "औरों को मीठी से मोहब्बत का पाठ सीखना चाहिए।"
हाईवे पर चलने वालों जान लो रोड पर बनी इन लाइनों का मतलब, कहीं देर ना हो जाए...
International News inextlive from World News Desk
International News inextlive from World News Desk