वैसे ये कभी भी मार कर सकती है लेकिन ज़्यादातर दशहरा, होली-दिवाली के दौरान लगती है.
इसमें अचानक से देश की ज़बरदस्त याद आने लगती है, आंखें बहने लगती हैं, गांव-खलिहानों की बात होने लगती है, सही हो या ग़लत हर बात पर भारत का झंडा उठने लगता है. भारत लौटने के बाद ये बीमारी कभी नहीं हमला करती.
इस हफ़्ते एक तो दशहरा और साथ में सचिन के रिटायरमेंट की ख़बर—इस बीमारी को तो आना ही था. देसियों के बीच बस एक ही चर्चा—अरे सुना सचिन रिटायर हो रहा है. और बस सचिन के क़िस्से शुरू.
ओबामा का बयान
सोशल मीडिया पर भी सचिन ही सचिन. और तो और अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के हवाले से एक बयान फ़ेसबुक, ट्विटर और यू ट्यूब पर फिर से नज़र आने लगा. ये वही बयान था जो सचिन के एक दिवसीय मैचों से रिटायरमेंट की घोषणा के बाद भी सामने आया था.
इस में ओबामा के हवाले से कहा गया है, “मैं क्रिकेट की समझ नहीं रखता हूं. लेकिन जब सचिन खेलते हैं तो मैं क्रिकेट ज़रूर देखता हूं बस ये जानने के लिए कि मेर देश की उत्पादन क्षमता पांच प्रतिशत कम क्यों हो जाती है जब वो बैटिंग कर रहे होते हैं.”
दिल बाग-बाग हो उठा. क्या बात कही है दुनिया के सबसे ताक़तवर इंसान ने अपने सचिन के बारे में.
लेकिन एक मिनट..कब और कहां कही थी ये बात ओबामा ने?
मैंने पहले गूगल को खंगालना शुरू किया, फिर सालों से वाशिंगटन से भारत-अमरीका संबंधों पर लिख रहे पितामहों को फ़ोन किया.
एक ने कहा कि सचिन के बारे में ओबामा के मुंह से कोई बयान याद नहीं लेकिन हां ओबामा ब्रायन लारा से ज़रूर मिले थे और लारा ने उन्हें क्रिकेट का बल्ला कैसे पकड़ते हैं इसकी ट्रेनिंग भी दी. उसकी तस्वीर भी मौजूद है. लोग भी अजीब होते हैं. सचिन की पूछो तो लारा सुनाते हैं.
बात बनी नहीं. एक बार दिल ये भी किया कि व्हाइट हाउस के मीडिया विंग को फ़ोन घुमा कर पूछ लूं लेकिन फिर लगा थोड़ा ज़्यादा हो जाएगा ख़ासकर तब जब वहां की पूरी टीम शटडाउन से जूझ रही हो.
सचिन सिंड्रोम
मैं ये नहीं कह रहा हूं कि ओबामा ने कभी ऐसा नहीं कहा. ज़रूर कहा होगा...कहना भी चाहिए. बस आप सबसे एक छोटी सी गुज़ारिश है अगर उस बयान की ट्रांसक्रिप्ट कहीं मिले या कोई वीडियो हो तो मुझे मेरे ट्विटर एकाउंट पर भेज दीजिएगा. मेरा ट्विटर हैंडल है @ब्रैजअप—@brajup. संजो कर रखूंगा.
वैसे एक और बात बताऊं. इस बीमारी ने थोड़ी देर के लिए मुझे भी सताया. लेकिन ऑफ़िस में ज़्यादातर अमरीकी सहयोगी हैं जिनका दूर-दूर तक क्रिकेट से कोई वास्ता नहीं. किससे बात करता.
बीबीसी टीवी पर बार-बार सचिन की तस्वीर आ रही थी तो पर्सियन सर्विस के एक सहयोगी ने ज़रूर पूछा कि क्या ये आदमी सचमुच बहुत बड़ा स्टार है?
मुझे तो मानो मनचाही मुराद मिल गई. शुरू हो गया मेरा सचिन पुरान. उसे बताने लगा कि कैसे उन्होंने दुनिया के गेंदबाज़ों की नींद हराम की, कैसे जोहांसबर्ग में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त पारी के बाद होटल के लिफ़्ट में मेरी उनसे मुलाक़ात हुई तो....
दो ही तीन मिनट गुज़रे थे और मैं फॉर्म में आ ही रहा था कि शटडाउन पर रिपोर्ट का बहाना लेकर मेरी बात पूरी होने से पहले ही ईरानी दोस्त खिसक लिया. बड़े निर्दयी होते हैं लोग.
भारत के टीवी चैनलों को पहली बार मिस कर रहा हूं. कैसे चीख-चीखकर सचिन के चर्चे हो रहे होंगे, आनेवाले दो मैचों का विश्लेषण हो रहा होगा, सचिन तुझे सलाम का म्यूज़िक बज रहा होगा...ख़ैर आप सबको दशहरा मुबारक.
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