ये है वो देश
ऐसा हो रहा है जापान में। दरअसल यहां लोग इतना ज्यादा काम करते हैं कि उन्हें अपनी नींद पूरी करने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। ये एक बड़ी वजह है कि जापान इस समय भी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बना हुआ है। बता दें कि जापान की सरकार की ओर से जारी 'डेथ फॉर ओवरवर्क' पर जारी किए गए वाइट पेपर के मुताबिक पिछले कुछ सालों में ऐसा होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों की हालत खराब हो गई है।
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करते हैं फुल टाइम जॉब
यहां आधे से ज्यादा वर्कर्स फुल टाइम जॉब करते हैं। इन वर्कर्स का कहना है कि उनके पास नींद तक पूरी करने का समय नहीं है। सरकार की ओर से जारी किए गए वाइट पेपर के मुताबिक यहां बहुत कम रेस्ट पीरियड के लिए कोई कानून नहीं है। इस समस्या को लेकर सरकार ने एक सर्वे किया। इस सर्वे में करीब 1700 कंपनियों में से सिर्फ 2 फीसदी कंपनियां ही ऐसी मिलीं जो मिनिमम रोजाना रेस्ट पीरियड देती हैं। इनके अलावा बची हुई कंपनियां ऐसा नहीं करतीं।
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सरकार ने निकाला उपाय
वहीं अब सरकार ने इसका उपाय ढूंढ निकाला है। उपाय ये है कि जापान की सरकार ने करीब अगले वित्त वर्ष के लिए 22 करोड़ रुपये पूरी तरह से अलग रख दिए हैं। इस रकम को छोटी और मिडिल क्लास कंपनियों को मिनिमम रेस्ट पीरीयड अपनाने वाले प्रोग्राम को बढ़ावा देने में दिए जाएंगे। इस प्रोग्राम के तहत सरकार हर कंपनी को 5 लाख येन (करीब 30 लाख रुपये) देगी। सरकार ऐसा इसलिए करेगी ताकि कंपनी कर्मचारी नियमों, ट्रेनिंग और सॉफ्टवेयर को अपडेट कर सके। इससे उनकी कॉस्ट भी कम होगी और कर्मचारियों को भी आराम मिल सकेगा।
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