नहीं दिख रहा भारत के प्रयासों का असर
लीक से हटकर पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की मोदी सरकार की कोशिशों के आड़े भी पाकिस्तान की बदनीयती और कुटिलता आने लगी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने दिसंबर, 2015 में अचानक लाहौर पहुंच कर रिश्तों को नया आयाम देने की जो कोशिश की थी, पाकिस्तानी हुक्मरानों पर उसका भी असर होता नहीं दिख रहा है। यह भी लगने लगा है कि पठानकोट हमले की जांच करने के लिए पाकिस्तान ने अपनी जो जांच टीम भेजी थी वह भी सिर्फ दिखावा था। भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने गुरुवार को न सिर्फ अपनी सरकार के इन नापाक इरादों पर से नकाब हटा दिया बल्कि कहीं न कहीं यह भी साबित किया कि कूटनीति के नाम पर उसके तरकश में सिर्फ कुटिल नीति ही है। बासित यहां देशी-विदेशी पत्रकारों से बात कर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि दोनों देशों के बीच प्रस्तावित विदेश सचिव स्तरीय समग्र वार्ता की क्या स्थिति है तो उनका टका सा जबाव था कि यह वार्ता स्थगित है। जबकि इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय का संभला हुआ जबाव होता है कि, 'दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर पर संपर्क बना हुआ है और उचित समय पर इस बारे में फैसला होगा।' लगे हाथ उन्होंने भारत पर तंज भी कसा कि 'किसी को इस बात में शक नहीं होनी चाहिए कि पाकिस्तान भारत के साथ बेहद सामान्य व दोस्ताना रिश्ते नहीं चाहता।' बासित से दोबारा जब पूछा गया कि शांति वार्ता की क्या स्थिति है तो उन्होंने निराशाजनक अंदाज में जबाव दिया कि, देखिए हम वार्ता फिर से शुरु करने में सफल होते हैं या नहीं।
भारत पर लगाया पाकिस्तान में गड़बड़ी फैलाने का आरोप
बासित यहीं नहीं रूके। उन्होंने भारत पर पाकिस्तान में गड़बड़ी फैलाने का आरोप लगाया। इस संदर्भ में उन्होंने हाल ही में पाकिस्तान में गिरफ्तार भारतीय नौ सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण यादव का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे हम अभी तक जो कह रहे थे वह सच साबित हुआ है। उक्त गिरफ्तार भारतीय के जासूस होने की बात भारत सिरे से नकार चुका है और उस तक भारतीय उच्चायुक्त की पहुंच मांगी है। बासित ने पाकिस्तान की मंशा साफ करते हुए कहा कि, वह नहीं कह सकते कि यादव को भारतीय उच्चायुक्त से मिलने दिया जाएगा या नहीं। इसी तरह से पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तान जाने की इच्छा व्यक्त कर चुके राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को भी शायद ही पाकिस्तान मंजूरी दे। बासित ने भारतीय विदेश मंत्रालय के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि भारत ने पाक की जांच टीम को आने की इजाजत दी थी और पाकिस्तान की बारी है। बासित के मुताबिक इस तरह की व्यवस्था पारस्परिक नहीं थी बल्कि सहयोग करने के उद्देश्य से किया गया था।
कश्मीर का फिर किया जिक्र
इसके बाद बासित यह याद दिलाना नहीं भूले कि कश्मीर ही दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी समस्या है और इसका समाधान कश्मीर के आवाम के इच्छा के मुताबिक ही होनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने जो कहा वह एक चेतावनी से कम नहीं माना जाएगा। बासित ने कहा कि, 'कश्मीर समस्या को ठंडे बस्ते (बैकबर्नर) में डालने के उल्टे परिणाम सामने आ सकते हैं।'
भारत ने दी उचित प्रतिक्रिया
पाक के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के आपत्तिजनक व कड़वे बयान पर भारत ने बेहद सधी प्रतिक्रिया जताई है लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि बासित का बयान तथ्यों से अलग है। पठानकोट हमले की जांच के लिए भारत की जांच टीम को पाकिस्तान नहीं भेजे जाने को पारस्परिक मुद्दा नहीं मानने वाले बासित को यह याद दिलाया गया है कि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय को पहले ही यह बता दिया गया था कि यह पारस्परिक मुद्दे पर बनी सहमति है। इस बारे में इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने वहां के विदेश मंत्रालय को सूचना भी भेजी थी। यही नहीं बासित जो बातें कह रहे हैं वह पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान से मेल नहीं खाती हैं।भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने देर शाम बयान जारी कर विदेश सचिव स्तरीय वार्ता के स्थगित होने के बासित के बयानबाजी को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान से ही काट दिया है।
भड़के सुब्रहमण्यम
गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि दोनों देश एक दूसरे के संपर्क में है और बातचीत के मसौदे को तय किया जा रहा है। इस बात के संकेत है कि दोनों देशों के बीच वार्ता होगी। पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। स्वामी ने कहा है कि बासित को उनके देश पाकिस्तान भेज देना चाहिए और पाकिस्तान से भारत के राजदूत को वापस बुला लेना चाहिए।inextlive from India News Desk
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