Parshuram Jayanti 2020 : पृथ्वी पर भगवान परशुराम के अवतरण तिथि को परशुराम जयंती के रूूप में मनाया जाता है जो इस बार 25 अप्रैल को है। वेदों के मुताबिक भगवान परशुराम प्रभु विष्णु के अवतार हैं। वेदों में आठ चिरंजीवी अवतारों का उल्लेख मिलता है। आठ चिरंजीवी अवतारों में अश्वस्थामा, दैत्यराज बलि, महर्षि वेदव्यास, वीर हनुमान, बिभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम व मार्कण्डेय ऋषि शामिल हैं। भगवान परशुराम जयंती पर व्रत और पूजन के महत्व के साथ मौन व्रत का भी विधान है। जयंती तिथि रात में शुरु होने के चलते भक्त रात भर जागरण करते हैं। परशुराम को इस तरह भक्त प्रसन्न करते हैं।
इस दिन मौन व्रत रखा जाता है, जानें इसका महत्व
बता दें कि परशुराम जयंती पर उनके कई भक्त मान्यता अनुसार मौन व्रत भी रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि मौन व्रत रखने से परशुराम प्रसन्न होते हैं। मौन रहने का भी विशेष महत्व है। मौन रहने से आत्म मंथन और बौद्धिक ज्ञान बढ़ता है। सुसमीक्षा की प्रवत्ति बढ़ती है जिससे सकारात्मकता आती है। क्रोध पर नियंत्रण की शक्ति मिलती है जिससे विवाद से बचते हैं। शक्ति व भक्ति की शक्ति मिलती है। मनुष्य को दीर्घायु मिलती है।
भगवान श्री कृष्ण को परशुराम ने दिया था आशीर्वाद
स्कंद व भविष्य पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को भूत, भविष्य व वर्तमान को जानने का आशीर्वाद प्राप्त था। उन्हें ये आशीर्वाद परशुराम ने ही दिया था। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण जब पाण्डवों का संदेशा लेकर कौरवों के पास जा रहे थे तब परशुराम ने उन्हें यह आशीर्वाद दिया था।
- ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय