नई दिल्ली (आईएएनएस)। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मुद्दे को उठाया और पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाए जाने की घोषणा की। चौधरी ने केंद्र पर इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस योजना के माध्यम से देश को लूटा जा रहा है व यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। यह मुद्दा गंभीर है और हमने स्थगन नोटिस दिया है।
सरकार पर साधा निशाना
'ट्रेजरी बेंच का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे विपक्ष में थे तब सदन को काम नहीं करने दिया था जब यूपीए सरकार पर कोयला ब्लॉक आवंटन में आरोप लगाए गए थे। कांग्रेस के सदस्यों ने प्रश्नकाल के दौरान इस मुद्दे पर विरोध किया और अध्यक्ष के आसन के निकट आ गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हस्तक्षेप किया और विरोध करने वाले सदस्यों से पूछा अपनी सीटों पर वापस जाने और शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि 'प्रश्नकाल जरूरी है क्योंकि सभी सदस्य अपने मुद्दों को उठाना चाहते हैं।' बिड़ला ने सदन के वेन में अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अपनी बात कहने वाले सदस्यो को भी चेताया। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि 'मैं सदन का नया सदस्य हूं और उसकी गरिमा बनाए रखना चाहता हूं। मैं आपको प्रश्नकाल के बाद अवसर दूंगा,' उन्होंने कांग्रेस के सदस्यों को बताया।
कांग्रेस सदस्यों ने किया वॉकआउट
राजनीतिक मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने भी कांग्रेस नेताओं को सदन के कामकाज में बाधा न डालने और शून्यकाल के दौरान अपने मुद्दों को उठाने के लिए
कहा। कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाया और इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, '1 फरवरी, 2017 से जब इस सरकार ने आम बजट के दौरान अज्ञात चुनावी बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव पेश किया, तो यह भ्रष्टाचार को ढंकने का एक प्रयास था। जब इस योजना को लागू किया गया था, तब यह केवल लोकसभा चुनावों तक ही सीमित थी।' तिवारी ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी, जब उन्होंने कर्नाटक चुनाव से पहले की घटना का उल्लेख करते हुए प्रधान मंत्री कार्यालय पर सवाल उठाने की कोशिश की, तब स्पीकर ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी। इस पर कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट किया। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार पर निशाना साधते हुए इसे साजिश करार दिया था।
स्थगन प्रस्ताव अस्वीकार
बिड़ला ने शून्यकाल जारी रखा क्योंकि उन्होंने पहले ही घोषित कर दिया था कि उन्होंने कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। स्थगन प्रस्ताव एक असाधारण प्रक्रिया है, जिसे यदि स्वीकार किया जाता है, तो सदन के सामान्य कामकाज को रोककर तत्काल सार्वजनिक महत्व के किसी मामले पर चर्चा की जा कसती है।
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