श्वेता अपने बच्चे को हर वक्त सलाद खाने को फोर्स करती थी. लेकिन उसके होश तब उड़ गए जब उसके मौसाजी को डॉक्टर ने दिमाग में कीड़े होने की बात बताई और यह कहा कि ये कीड़े उनके दिमाग तक कच्ची सब्जियों या कंटैमिनेटेड पानी के जरिए पहुंचे हैं.

दिमाग में कीड़ा होने की कंडीशन को मेडिकल टम्र्स में न्यूरोसिस्टसरकॉसिस कहते हैं. ये बे्रन का सबसे कॉमन पैरासिटिक इंफेक्शन है जो एडल्ट्स में सीजर्स और एपिलेप्सी यानी लकवा होने की सबसे बड़ी वजह है.

पहले यह मिथ था कि यह डिसीज केवल अंडरकुक्ड मीट, स्पेशली पोर्क खाने से फैलती है, लेकिन बीते सालों में कई वेजिटेरियंस इस बीमारी के शिकार हुए हैं. न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विकास शुक्ला के मुताबिक इंडिया में पोर्क से कम, कंटैमिनेटेड पानी, सलाद और अंडर कुक्ड सब्जियां खाने से ये बीमारी ज्यादा फैल रही है.

Avoid contaminated water

डॉ. विकास कहते हैं, ‘इस बीमारी के फैलने का मेन रीजन गंदा पानी है. कई बार सीवर की लाइंस पानी की लाइन में मिल जाती है जो पानी को इंफेक्शियस बना देती है.’ इसके अलावा सलाद में यूज होने वाली हरी पत्तेदार सब्जियां इस बीमारी के कॉजेस में से एक हैं. डॉ.शुक्ला कहते हैं, ‘हर 1000 लोगों में से 7-8 केसेस सिस्टसरकॉसिस के होते हैं, जिनमें से 4 केसेस न्यूरोसिस्टसरकॉसिस के होते हैं और फ्यूचर में ये केसेस बढऩे ही हैं.’

 तो क्या वजह है कि ये बीमारी जल्दी पकड़ में नहीं आती? डॉ. शुक्ला कहते हैं, ‘इस बीमारी का पहला इंडिकेशन फिट या चक्कर ही होता है.’ वो वजह बताते हैं, ‘इसके  सिम्पटम्स जैसे सिरदर्द, चक्कर को लोग पहचान नहीं पाते. सिरदर्द एक कॉमन परेशानी है जो नींद न आने, कमजोरी, वर्कहोलिक होने की वजह से भी हो सकती है.’

How to identify it?

एक बार पकड़ आने पर कंट्रास्ट सीटी स्कैन से ब्रेन में सिस्ट को आइडेंटिफाई किया जाता है. इसका इलाज सालों तक चलता है. डॉ. शुक्ला के मुताबिक, बाल झडऩा या वजन बढ़ जाना इसके ट्रीटमेंट के कई साइड इफेक्ट्स होते हैं. दवाइयों से इन्हें कम तो किया जा सकता है लेकिन खत्म नहीं किया जा सकता.’

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