दुर्घटना का शिकार
दरअसल जोनाथन जब अपनी मां के पेट में था तब उसकी मां का एक एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से वो ना ही बोल पाता है और ना ही चल पाता है। वो लॉक्ड इन नाम की बीमारी से पीड़ित हो गया है जिसके चलते वो पूरी तरह से विकलांग है।
स्कूल ने किया बाहर
10 वर्षीय जोनाथन को विकलांगों के स्कूल में भी जगह नहीं मिली। स्कूल वालों ने उनके मां-बाप से ये कहकर दाखिला नहीं किया कि जोनाथन को पढ़ाया नहीं जा सकता है। इस बात से जोनाथन की मां चैंटल को काफी धक्का पहुंचा और उन्होंने फैसला किया कि वो घर में ही जोनाथन को पढ़ाएंगी। उन्होंने जोनाथन को आंखे की मदद से स्पेलबोर्ड पर शब्द चुनना सिखाया।
मां ने पढ़ाया
चैंटल की मेहनत रंग लाई और 10 वर्षीय जोनाथन अब स्पेलबोर्ड की मदद से बोल लेता है और लिख भी लेता है। उसको Punctuation का इस्तेमाल करना भी आ गया है और अब वो कई कविताएं एवं कहानियां लिख लेता है।
प्रतियोगिता में लिया हिस्सा
हाल ही में बीबीसी रेडियो ने एक कहानी लेखन की प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस प्रतियोगिता में जोनाथन ने भी हिस्सा लिया था। उसने स्पेलबोर्ड की मदद से अपनी कहानी मात्र 30 मिनट में ही पूरी कर ली थी। भाई जोनाथन के जज्बे को सलाम है। ये उन तमाम लोगों के लिए एक मिसाल है जो अपनी विकलांगता को अपनी कमजोरी मान बैठते हैं।
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