पैराडाइज पेपर्स लीक

पनामा पेपर्स के बाद कालेधन को लेकर अब  पैराडाइज पेपर्स के तौर पर एक बार फिर बड़ा खुलासा हुआ है। जर्मनी के जीटॉयचे साइटुंग नामक अखबार ने पैराडाइज पेपर्स का खुलासा किया है। आईसीआईजे के पत्रकारों ने मिल कर पैराडाइज पेपर्स लीक का खुलासा किया है।। पैराडाइज पेपर्स में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं। इस खुलासे के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है जो दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोगों का पैसा विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं। इन पेपर्स में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू के लिए कोष जुटाने वाले और वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन ब्रॉन्फमैन ने पूर्व सीनेटर लियो कोल्बर के साथ मिलकर विदेशों में कर पनाहगाहों में करीब 6 करोड़ डॉलर का निवेश कर रखा है। रूस की ऊर्जा फर्म में व्लादिमीर पुतिन के दामाद का नाम भी सामने आया है। पूरी लिस्ट में कुल 180 देशों के नाम हैं। इसमें 714 भारतीयों के नाम सामने आए हैं। अभिनेता अमिताभ बच्चन, नीरा राडिया, नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा, भाजपा से राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, विजय माल्या, फोर्टिस-एस्कॉर्ट्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ, अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता का भी नाम है। मान्यता का असली नाम दिलनशीं है। बहामास रजिस्ट्री में जमा दस्तावेज के मुताबिक दिलनशीं को अप्रैल 2010 में नसजय कंपनी लिमिटेड का प्रबंध निदेशक और ट्रेजरर नियुक्त किया गया।

विकीलीक्‍स से पैराडाइज पेपर्स लीक तक खुलासे जिन्‍होंने दुनिया को हैरान कर दिया

वीकीलिक्स का अफगान-ईरान युद्ध पर खुलासा

विकीलीक्स उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में आया था जब इसने अमेरिका के अफगान-ईरान युद्ध से जुड़े हजारों दस्तावेज लीक कर दिए थे। इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद अमेरिका की काली करतूत उजागर हो गई थी। अमेरिका के ईरान पर हमले के लीक हुए दस्तावेजों में ईराक में मारे गए लाखों लोगों की मौत का जिक्र था। विकीलीक्स ने ही खुलासा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने फ्रांस के तीन राष्ट्रपतियों की जासूसी करवाई थी। ये खुलासा कर के दुनिया में हलचल मचा दी थी।

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राजीव गांधी पर विकीलीक्स का खुलासा

विकीलीक्स के खुलासे ने तब भारत में हलचल मचा दी थी जब उसने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर खुलासा किया था। राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने से पहले स्वीडन की एक विमान बनाने वाली कंपनी के लिए मध्यस्थ का काम करते थे ताकि वो अपने जहाज भारत को बेंच सके। कांग्रेस सरकार के दौरान हुए इस खुलासे ने राजनीति के मैदान में हंगामा मचा दिया था।  

विकीलीक्‍स से पैराडाइज पेपर्स लीक तक खुलासे जिन्‍होंने दुनिया को हैरान कर दिया

पनामा पेपर्स 2016

जीटॉयचे साइटुंग नामक अखबार ने आईसीआईजे नाम के एनजीओ के साथ मिलकर पनामा पेपर्स का खुलासा किया था। यह टैक्स चोरी के अभी तक के सबसे बड़े खुलासों में से एक था। पनामा उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका को जमीन के रास्ते से जोड़ने वाला एक देश है। यहां की एक कानूनी फर्म मोसेक फोंसेका के सर्वर को 2013 में हैक करने के बाद यह खुलासा किया गया था। मोसेक फोंसेका एक लॉ कंपनी है। यह पैसे का मैनेजमेंट करने का काम करती है व सुरक्षित रूप से पैसा ठिकाने लगाने में मदद करती है। साथ ही यह फर्जी कंपनी खोलकर उनके कागज़ों का हिसाब रखती है। 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेज़ों का इस मामले में खुलासा किया गया था। इस खुलासे में बॉलीवुड डीवा एश्वर्या राय, अमिताभ बच्चन सहित भारत और दुनिया की कई बड़ी हस्तियों के नाम शामिल थे। पिछले साल ब्रिटेन में पनामा की लॉ फर्म के 1.15 करोड़ टैक्स डॉक्युमेंट्स लीक हुए थे। आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिंगमंडर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मुश्किल में फंस गए थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवाज शरीफ को अपने पद से हटाया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन का नाम भी इस मामले में शमिल था। इस मामले में दुनियाभर के 140 नेताओं , अधिकारियों और असंख्य अरबपतियों, हस्तियों और खिलाड़ियों का पर्दाफाश हुआ था।

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स्विस लीक्स 2015

आईसीआईजे ने 2015 में स्विस लीक्स का खुलासा कर दुनिया को हैरान कर दिया था। इस जांच पड़ताल में 45 देशों के सैकड़ों पत्रकार शामिल थे। फरवरी 2015 में जारी हुई रिपोर्ट में एचएसबीसी प्राइवेट बैंक जोकि एक स्विस बैंक है पर पूरा फोकस था। लीक हुई फाइलों में 2007 तक के खातों की जानकारी थी। ये खाते 200 से अधिक देशों के 1 लाख लोगों और कानूनी संस्थाओं से संबंधित थे। इसमें मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक, ट्यूनिशिया के पूर्व राष्ट्रपति बेन अली और सीरिया के नेता बशर अल-असद की हुकूमतों के करीबियों का भी नाम आया था। इसका डेटा फ्रेंच-इटैलियन सॉफ्टवेयर इंजीनियर और विसलब्लोअर एर्वी फैल्सियानी द्वारा लीक किए गए डेटा पर आधारित था।

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लक्समबर्ग लीक्स 2014

लक्समबर्ग लीक्स को संक्षेप में लक्स लीक्स भी कहा जाता है। आईसीआईजे ने गहन जांच करने के बाद 2014 नवंबर में इसे सार्वजनिक किया था। यह रिपोर्ट प्रोफेशनल सर्विसेज कंपनी प्राइसवॉटर हाउसकूपर्स द्वारा लक्समबर्ग में 2002 और 2018 के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अनुकूल टैक्स नियम पाने में सहायता करने पर आधारित थी। आईसीआईजी ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने लक्समबर्ग के जरिये पैसा चैनलाइज करके अरबों बचाए। कई बार तो टैक्स की दर एक प्रतिशत से भी कम रही। इसके मुताबिक लक्समबर्ग में एक पते पर तो 1600 से अधिक कंपनियां चल रही थीं। इसमें पेप्सी, आइकिया, एआईडी और डॉयचे बैंक के प्रमुख नाम आए थे। लीक हुए दस्तावेजों की दूसरी सिरीज में कहा गया था कि वॉल्ट डिज्नी कंपनी और स्काइप ने खरबों डॉलर लक्समबर्ग की सब्सिडियरियों के जरिये निकाले।

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ऑफशोर लीक्स 2013

ऑफशोर लीक्स खुलासे को अंतरराष्ट्रीय कर धोखाधड़ी के सबसे बड़े पर्दाफ़ाश के तौर पर देखा जाता है। आईसीआईजे और इसके समाचार भागीदारों ने अप्रैल 2013 में रिपोर्ट को 15 महीनों की पड़ताल के बाद सार्वजनिक किया था। करीब 25 लाख फाइलों ने वर्जिन आइलैंड्स और कुक आइलैंड्स जैसी जगहों पर 1 लाख 20 हजार से ज्यादा कंपनियों और ट्रस्टों के नाम उजागर किए थे। इसमें पैसों का हेरफेरइमेज कॉपीरइट गिटी इमेजेस हमेशा की तरह राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और उनके परिजनों के नाम और रूस के कुछ जाने-माने नाम भी थे। साथ ही चीन, अजरबाइजान, कनाडा, थाइलैंड, मंगोलिया और पाकिस्तान से भी कुछ नाम थे। फिलीपीन्स के पूर्व दबंग शासक फर्डिनैंड मार्कोस के परिवार का नाम भी इसमें शामिल था। आईसीआईजी का कहना था कि इन लीक्स से क़ानूनी कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिलते। आईसीआईजेने दो फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर्स जर्सी के एक निजी बैंक और बहामस कॉर्पोरेट रजिस्ट्री का हवाला सूत्र के तौर पर दिया था।

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