पंच केदार मंदिरों में से एक मध्यमहेश्वर गढ़वाल की पहाड़ियों में स्थित मानसूना गांव में है. मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली में बना है. भगवान शिव के इस धाम तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है. बहरहाल यहां जो भी आता है वह रास्ते की खूबसूरती में खो जाता है. पहाड़ियों के बीच में बना शिव मंदिर बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींचता है. आइए तस्वीरों में ही सही चलते हैं मानसूना गांव और करते हैं मध्यमहेश्वर के दर्शन.
समुद्र तल से 11,450 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मध्यमहेश्वर मंदिर.
चौखंभा, नीलकंठ व केदारनाथ की बर्फ से ढकी पहाड़ियां यहां से नजर आती हैं.
मध्यमहेश्वर मंदिर तक सिर्फ पैदल ही पहुंचा जा सकता है.
मंदिर के पट अप्रेल/मई में खुलते व अक्टूबर/नवंबर में बंद हो जाते हैं.
मंदिर में पूजा-अर्चना का दायित्व दक्षिण भारतीय पुजारियों के जिम्मे हैं जो मूल रूप से मैसूर, कर्नाटक के निवासी हैं.
मंदिर के रास्ते में आपकी भेंट हिमालयी मोनल पक्षी या कस्तूरी मृग से भी हो सकती है.
ऊखीमठ से 18 किमी दूर उनियाना से मध्यमहेश्वर मंदिर के लिए चढ़ाई शुरू होती है.
कहते हैं कि भीम ने मध्यमहेश्वर मंदिर की स्थापना की व यहां रहकर शिव का पूजन किया.
मंदिर के गर्भगृह में नाभि के आकार का काले पत्थर का बना हुआ शिवलिंग स्थापित है.
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