ज़िबेन का जन्म पिछले साल अगस्त में नब्लूस अल-अरेबिया अस्पताल में हुआ. जन्म के कुछ घंटों बाद अपनी मां दल्लाल के हाथों में पहुंचकर ज़िबेन की हालत स्थिर हो गई, लेकिन उनके पिता का कोई अता-पता नहीं.

मुहन्नद ज़िबेन के पिता अम्मार ज़िबेन 1997 में यरुशलम में हुए एक बम धमाके के आरोप में इसराइल की एक जेल में 32 साल की सज़ा काट रहे हैं. दल्लाल कहती हैं कि ऐसे में वो गर्भवती हो पाईं क्योंकि उनके पति के शुक्राणु तस्करी के ज़रिए जेल से उन तक पहुंच पाए.

शुक्राणुओं की तस्करी
बीबीसी से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, ''मुहन्नद ईश्वर का तोहफ़ा है, लेकिन ये सच है कि मेरे पति जब तक मेरे पास नहीं होंगे तबतक ये खुशी अधूरी है.'' दल्लाल का मामला कई दिनों कर सुर्खियों में छाया रहा था.

इसके बाद से अबतक बीबीसी ग़ज़ा पट्टी में मौजूद दो गर्भाधान केंद्रों में डॉक्टरों से बात कर चुकी है और उनका कहना है कि अबतक दस से ज्यादा फलस्तीनी महिलाएं तस्करी के ज़रिए उनतक पहुंचाए गए जेलों में बंद अपने पतियों के शुक्राणुओं से गर्भवती हुई हैं.

डॉक्टर सालेम अबु खैज़रान कहते हैं, ''सच कहूं तो मुझे नहीं पता कि वो लोग ये कैसे करते हैं, और मैं जानना भी नहीं चाहता. मैं ये सब केवल मानवता के नाते कर रहा हूं. कैदियों पर हर किसी की नज़र रहती है लेकिन इन औरतों के दुख के बारे में कोई नहीं सोचता.''

डॉक्टरों का कहना है कि ये महिलाएं प्लास्टिक का शीशियों से लेकर कांच के कप तक मैं अपने पति का वीर्य लेकर हमारे पास आती हैं. डॉक्टर खैज़रान कहते हैं कि आईवीएफ तकनीक के ज़रिए गर्भाधान के लिए शुक्राणु 48 घंटों तक सुरक्षित रह सकते हैं. इसके बाद उन्हें जमाकर सुरक्षित रखा जा सकता है.

कई सावधानियां
कई बार ऐसा भी होता है कि शुक्राणु डॉक्टर की क्लीनिक तक पहुंचने से पहले खराब हो जाते हैं और ऐसे में इन महिलाओं को दोबारा कोशिश करनी पड़ती है.

इस तरह की क्लीनिक आमतौर पर उन महिलाओं के इलाज से बचती है जिनके पास पहले से दो या तीन बच्चे हों. इसके अलावा आईवीएफ से पहले महिला को कुछ ऐसे साक्ष्य भी जुटाने होते हैं जिनसे साबित हो जाए कि ये शुक्राणु उसके पति के ही हैं. लेकिन बरतने के लिए सावधानियां और भी हैं.

डॉक्टर खैज़रान कहते हैं, ''जब पूरा गांव ये जानता हो कि महिला का पति 10 से 15 साल से जेल में है, तो हम ये नहीं चाहते कि अचानक लोगों को ये पता चले कि वो गर्भवती है.

हम महिला को सलाह देते हैं कि वो कुछ लोगों को यह बताए कि अपने पति के वीर्य से ही वो गर्भ-धारण कर रही है.'' हालांकि इसराइली जेल सेवा (आईपीएस) तस्करी के इन मामलों को संदेह की नज़र से देखती है.

कैदियों को मिले अधिकार
जेल प्रशासन के प्रवक्ता सिवान विज़मान के मुताबिक, ''हम ये तो नहीं कह सकते कि ऐसा कभी नहीं हुआ है. लेकिन ये ज़रूर है कि आमतौर पर ऐसा होना बेहद मुश्किल है क्योंकि कैदियों के रिश्तेदारों से मिलने के दौरान बेहद कड़ी निगरानी रखी जाती है.''

हालांकि कैदियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों का मानना है कि जिस तरह इसराइली कैदियों अलग-अलग अधिकार हासिल हैं, उसी तरह फलस्तीनी कैदियों को भी अपने परिवारों से मिलने और पत्नियों के साथ वक्त गुज़ारने का मौका मिलना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर शुक्राणुओं की ये तस्करी जारी रहेगी.

जो भी हो डॉक्टर खैज़रान इस बात से बेहद खुश हैं कि आने वाले महीनों में उनके पास आई कई और महिलाएं बच्चों को जन्म देने वाली हैं.

 

 

International News inextlive from World News Desk