पांच लोगों में हकीमुल्ला के भाई की भी मौत हो गई है.
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक अमरीकी ख़ुफ़िया विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया है कि वाशिंगटन को हकीमुल्ला महसूद के मारे जाने के बारे में पुष्ट जानकारी मिली है.
ड्रोन हमले में महसूद की गाड़ी को निशाना बनाकर उत्तर पश्चिमी कबाइली इलाके के उत्तरी वज़ीरिस्तान में चार मिसाइल दागे गए.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इस हमले में चार अन्य लोग मारे गए हैं जिनमें महसूद के दो अंगरक्षक भी शामिल हैं.
एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने कहा है महसूद का अंतिम संस्कार शनिवार को दोपहर बाद किया जाएगा. इस्लामाबाद में मौजूद बीबीसी संवादादाता रिचर्ड गैपलिन के मुताबिक तालिबान की ओर से बदले के हमलों के डर से समूचे पाकिस्तान में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं.
इससे पहले भी अमरीकी और पाकिस्तानी खुफिया सूत्रों ने महसूद के मारे जाने के दावे किए थे लेकिन बाद में वो ग़लत साबित हुए.
शुक्रवार के हमले में क्षेत्र के मुख्य शहर मीरानशाह से पांच किलोमीटर उत्तर स्थित डांडे डारपा खेल में महसूद की गाड़ी को निशाना बनाया गया.
हकीमुल्ला महसूद की मौत के बाद पाकिस्तानी सरकार ने एक बयान जारी कर कड़े शब्दों में अमरीकी ड्रोन हमलों की निंदा की है. बयान में कहा गया है कि ऐसे ड्रोन हमले पाकिस्तानी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमला हैं और इससे दोनों देशों के संबंधों पर असर होगा.
वहीं तहरीक ए इंसाफ़ पार्टी के नेता इमरान ख़ान ने भी इन हमलों की निंदा की है और कहा है कि इससे तालिबान के साथ शांति वार्ता की कोशिशों पर असर पड़ेगा.
उत्कर्ष
30 साल के हकीमुल्ला महसूद 2009 में पाकिस्तानी तालिबान के नेता बैतुल्ला महसूद के ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद कमांडर बने थे.
हकीमुल्ला साल 2007 में तब महत्वपूर्ण बन गए थे जब बैतुल्ला ने उन्हें अपना कनिष्ठ कमांडर नियुक्त किया था. उस समय हकीमुल्ला ने 300 पाकिस्तानी सैनिकों पर कब्जा कर लिया था और रातोंरात संगठन में उनका कद बढ़ गया था.
महसूद हज़ारों लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार थे और उनके ऊपर एफबीआई ने 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित किया था.
महसूद अमरीकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के मोस्ट वॉन्टेड चरमपंथियों की सूची में शामिल थे. उनकी मौत उसी दिन हुई है जब पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि वो तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजनेवाली है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने तालिबान से बातचीत की पेशकश की थी ताकि उनके हाथों हो रही हिंसा को रोका जा सके.
बीबीसी के साथ दो हफ्ते पहले एक खास बातचीत में हकीमुल्ला महसूद ने कहा था वो सरकार के साथ गंभीर बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन अभी तक उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया है.
महसूद ने कहा था कि पाकिस्तान में हाल में हुई सार्वजनिक हिंसा के पीछे उनका हाथ नहीं है, उनके निशाने पर अमरीका और उसके दोस्त हैं.
हकीमुल्ला का पाकिस्तान के कबायली इलाकों में 30 से ज्यादा चरमपंथी गुटों पर एक तरह का नियंत्रण था.
हकीमुल्ला महसूद की मौत के बाद अब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के लिए नया नेता चुनना एक बड़ी चुनौती होगी. बीबीसी उर्दू के संवादादाता जावे सूमरू के मुताबिक नए नेता के चुनाव के लिए तालिबानी कमांडरों की एक बड़ी बैठक होती है जिसमें तमाम बड़े तालिबानी कमांडर इकट्ठा होते हैं. हालाँकि ड्रोन हमलों से तालिबान का ढाँचा ध्वस्त हो गया है और इसी वजह से बैठक होने में वक़्त लग सकता है. ऐसे में नए नेता के चुनाव में भी देर हो सकती है.
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