नेशनल कंस्टीट्यूशन सेंटर ने दिया मेडल
पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के हक में आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई ने फिलाडेल्फिया में नेशनल कंस्टीट्यूशन सेंटर का लिबर्टी मेडल अपने नाम किया है. मलाला यूसुफजई वो लड़की है, जिसने तालिबान के खिलाफ निडर होकर लड़कियों की शिक्षा की वकालत की थी. गौरतलब है कि अपनी इस मुहिम के दौरान मलाला को तालिबानी गोली का शिकार भी होना पड़ा था.
सिर्फ 15 साल की थी मलाला
मलाला यूसुफजई अक्टूबर 2012 में सिर्फ 15 साल की थी. जब तालिबान उग्रवादियों ने पाकिस्तान के मिंगोरा स्थित स्कूल से लौटते समय उनके सिर में गोली मारी दी थी. मलाला ने तालिबान के शासन के दौरान की जिंदगी के बारे मे बीबीसी के लिए लिखा और लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई थी, जिससे चरमपंथी मुस्लिम समूह की त्यौरियां तन गई थी.
शिक्षा को मिले बढ़ावा
अब 17 साल की हो चुकी मलाला ने कहा कि लिबर्टी मेडल से नवाजा जाना सम्मान की बात है. मैं दुनियाभर के उन सभी बच्चों की ओर से इस पुरस्कार को स्वीकार करती हूं, जो शिक्षा हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यह मेडल वर्ष 1989 के बाद से हर वर्ष दिय जाता है. पहली बार यह पोलिश सॉलिडेरिटी के संस्थापक एल वालेसा को दिया गया था. उसके बाद से यह पुरस्कार हासिल करने वालों में मुहम्मद अली, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर आदि शामिल हैं. पिछले साल यह तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को दिया गया था. मलाला 21 अक्टूबर को होने वाले एक समारोह में यह पुरस्कार स्वीकार करेंगी.
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