कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। आतंकवाद के लिए दुनियाभर में फेमस पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक परेशानी से भी जूझ रहा है। पाकिस्तान के हालात बेहद खराब हो चुके हैं और वहां पर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच लंबे समय से लड़ाई भी चल रही है। शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच की लड़ाई अब हिंसा के लेवल पर आ गई है। इन दोनों कम्यूनिटीज के बीच हो रही आपसी लड़ाई और हिंसा में अब तक 150 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि इस हिंसा और लड़ाई के बीच भी दोनों कम्यूनिटीज के बीच मीटिंग हुई। मीटिंग के बाद दोनों तरफ से 7 दिनों तक सीजफायर को मानने का डिसीजन लिया गया। मगर रविवार को भड़की हिंसा में 21 लोगों की जान चली गई। इससे पहले शनिवार को हुई हिंसा में मारे गए 32 लोगों में से 14 सुन्नी और 18 शिया कम्यूनिटी के थे।
आखिर क्यों भड़की हिंसा
पाकिस्तान में यह हिंसा वहां के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में हुई। कुर्रम पाकिस्तान का जनजातीय जिला है, जहां पर 21 नवंबर को हिंसा की शुरूआत हुई। दरअसल जब कुर्रम जिले में शिया कम्यूनिटी के लोगों का काफिला निकल रहा था। उसी टाइम पहले से घात लगाकर बैठे कुछ लोगों ने अचानक से हमला कर दिया, जिसमें 42 लोगों की मौत हो गई। इस हमले के बाद में शिया कम्यूनिटी की तरफ से जवाबी हमला किया गया। इससे दोनों कम्यूनिटीज के बीच टेंशन काफी बढ़ गई। बढ़ती हुई हिंसा को देखते हुए खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने हाई लेवल मीटिंग ऑर्गनाइज की है।
जमीन की वजह से हुई हिंसा
पाकिस्तान में ये लड़ाई शिया जनजाति मालेखेल और सुन्नी जनजाति मडगी कलाय के बीच चल रही है। दरअसल पाराचिनार से 15 किमी साउथ में बोशेहरा गांव का एक जमीन का टुकड़ा इस लड़ाई के पीछे का मेन रीजन है, जो कि एक एग्रीकल्चर फार्म है। लेकिन इसे खेती के लिए सुन्नी जनजाति को पट्टे पर दिया गया है। इस पट्टे की टाइम लिमिट जुलाई में खत्म हो चुकी है। लेकिन सुन्नी मुसलमान इसे वापस करने से मना कर रहा है। इसी वजह से दोनों कम्यूनिटीज के बीच लड़ाई हो रही है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि दोनों कम्यूनिटीज के बुजर्गों ने मीटिंग में ये डिसीजन लिया है कि हिंसा में मारे गए लोगों के शव एक दूसरे को वापस कर दिए जाएं। इसके साथ ही मीटिंग में ये भी डिसीजन हुआ कि जिन लोगों को बंधक बनाया गया है खासकर महिलाएं, उन्हें भी वापस कर दिया जाए।
कबायली इलाका है कुर्रम
पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत अफगानिस्तान के काफी पास है। वहीं कुर्रम जिला भी अफगानिस्तान से पास होने और आतंकवादी बहुल होने के कारण काफी सेंसिटिव इलाकों में आता है। कुर्रम एक कबायली इलाका है। ये अपनी सोशल और पॉलिटिकल स्थिति के लिए दुनियाभर में फेमस है। यहां पर शिया और सुन्नी मुसलमान बड़ी संख्या में हैं। इन दोनों कम्यूनिटीज के बीच भड़की हिंसा में 150 लोगों की मौत हो चुकी है।
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