कानूनी स्थिति पर दिया जोर
इसके साथ ही विदेश कार्यालय की प्रवक्ता तस्नीम असलम ने यह भी साफ किया कि भारत-पाक वार्ता कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का विकल्प नहीं है. संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव कश्मीर में जनमत-संग्रह की वकालत करता है. असलम ने कहा कि कश्मीर एक कानूनी मुद्दा भी है और इसकी कानूनी स्थिति मांग करती है कि विवाद का समाधान कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के मुताबिक जनमत-संग्रह के जरिए किया जाना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र को फिर लाए बीच में
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुआ शिमला समझौता संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को निष्प्रभावी नहीं बनाता. असलम ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र ने छह दशक से भी ज्यादा समय पहले जम्मू-कश्मीर में जनमत-संग्रह कराने का प्रस्ताव पारित किया था. शरीफ ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोग उस वादे के पूरे होने का अब भी इंतजार कर रहे हैं. भारत ने यह कहते हुए शरीफ के बयान को खारिज कर दिया था कि राज्य के लोगों ने सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत लोकतांत्रिक सिद्धांतों के मुताबिक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी किस्मत चुनी है.
'भारत और पाक को शांति के लिए करनी होगी बातचीत बहाल'
एक संवाददाता सम्मेलन असलम ने यह भी दावा किया कि सियाचिन मुद्दे के समाधान, सियाचिन के विसैन्यीकरण सहित इसे शांति पार्क घोषित करने के पाकिस्तान के प्रस्तावों पर भारत ने कभी भी सकारात्मक जवाब नहीं दिया. विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि सियाचिन मुद्दे के समाधान के प्रति भारत की नीति लचीली नहीं रही है. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने दावा किया था कि पाकिस्तान और भारत उनके शासनकाल में सियाचिन पर एक करार करने के करीब थे. असलम ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को क्षेत्र में सतत शांति के लिए बातचीत बहाल करनी होगी.
Hindi News from World News Desk
International News inextlive from World News Desk