राष्ट्रीय सहारा ने लिखा है कि सातवें चरण के चुनाव से पहले प्रियंका गांधी ने न सिर्फ़ रायबरेली में अपनी माँ सोनिया गांधी की चुनावी मुहिम संभाली, बल्कि उसके बाद अमेठी में उन्होंने दो टूक अंदाज़ में बीजेपी नेतृत्व और ख़ास कर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.
अख़बार कहता है कि कांग्रेस को वोट के लिहाज़ से इसका कितना फ़ायदा होगा, ये कह पाना तो मुश्किल है लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि प्रियंका गांधी के तेवरों ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार में नई जान फूंक दी है.
अख़बार के अनुसार इसी का नतीजा है कि जो मीडिया अब तक सिर्फ नरेंद्र मोदी के क़सीदे पढ़ रहा था, उसका रुख़ अचानक प्रियंका गांधी की तरफ़ हो गया और वो उनमें इंदिरा गांधी की झलक देख रहा है.
तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था
हमारा समाज ने चुनाव आयोग के निर्देश पर नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ दो एफ़आईआर दर्ज किए जाने के क़दम को बिल्कुल सही बताया है.
"भारत को लंबा सफर तय करना है. देश के सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें सबसे पहले है देश की आर्थिक वृद्धि दर में बीते चार साल में आई लगातार गिरावट. दूसरे अब भी 22 फीसदी आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे रहती है."
- हिंदोस्तान एक्सप्रेस, उर्दू अख़बार
अख़बार के अनुसार चुनाव आयोग ने कहा कि गुजरात में मतदान के दौरान प्रेस कॉन्फ़्रेंस करना और अपनी पार्टी का निशान दिखाना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. यही नहीं, चुनाव आयोग ने मोदी की इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस को लाइव प्रसारित करने वाले टीवी चैनलों के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है.
अख़बार लिखता है कि अगर मोदी इस मामले में दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें दो साल तक की सज़ा हो सकती है.
वहीं हिंदोस्तान एक्सप्रेस ने जापान को पीछे छोड़ भारत के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर संपादकीय लिखा है.
अख़बार की राय है कि भारत को लंबा सफ़र तय करना है. देश के सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें सबसे पहले है देश की आर्थिक वृद्धि दर में बीते चार साल में आई लगातार गिरावट. दूसरे अब भी 22 फ़ीसदी आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे रहती है.
बावजूद इसके अख़बार कहता है कि भारत जिस तरह नौ साल में दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है, वो गर्व की बात है.
'जनता से मज़ाक'
रुख़ पाकिस्तान का करें तो रोज़नामा ख़बरें ने विश्व बैंक की उस रिपोर्ट को जनता के साथ मज़ाक बताया है जिसमें पाकिस्तान को सबसे सस्ते देशों की सूची में सबसे ऊपर रखा गया है.
अख़बार कहता है कि ये बात ज़मीनी हक़ीक़त से बिल्कुल उलट है क्योंकि यहां चंद महीनों के भीतर महंगाई दर 200 फ़ीसदी बढ़ गई है, यही नहीं बिजली के दाम भी आसमान को छू रहे हैं.
संपादकीय में आगे कहा गया है कि जहां आलू की क़ीमत 60 रुपये किलो हो, जनता दो वक़्त की रोटी के लिए तरस रही हो, और मां बाप कई बार तो बच्चों को बेचने और मारने पर मजबूर हो जाते हैं, वहां पाकिस्तान के बारे में विश्व बैंक की रिपोर्ट को मज़ाक के सिवाय कुछ और नहीं कहा जा सकता.
अख़बार ने लिखा है कि पाकिस्तान की 60 फ़ीसदी आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन गुज़ार रही है.
"बीते साल पाकिस्तान में अल क़ायदा तो कमज़ोर हुआ है लेकिन अफ़ग़ान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अब भी वहां सुरक्षित पनाहगाह हासिल हैं, वहीं फाटा और बलूचिस्तान में मदरसे अफगानिस्तान और भारत में हमलों का सबब हैं."
दूसरी तरफ़ जंग ने अमरीकी रक्षा मंत्रालय की उस रिपोर्ट पर नुक्ता चीनी की है जिसके अनुसार पाकिस्तान दहशतगर्दी के ख़ात्मे के लिए ज़रूरी क़दम नहीं उठा रहा है.
रिपोर्ट कहती है कि बीते साल पाकिस्तान में अल-क़ायदा तो कमज़ोर हुआ है लेकिन अफ़ग़ान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अब भी वहां सुरक्षित पनाहगाह हासिल हैं. वहीं फाटा और बलूचिस्तान में मौजूद मदरसे अफ़ग़ानिस्तान और भारत में हमलों का सबब हैं.
अख़बार कहता है कि पाकिस्तान से अमरीका की ये शिकायत वाजिब नहीं है, क्योंकि यही वो देश है जिसने 12 साल पहले अमरीकी नेतृत्व में शुरू की गई जंग में सबसे ज़्यादा क़ुर्बानियां दी हैं. 5,000 से ज़्यादा सैनिक और 50,000 से ज़्यादा आम लोग इस जंग में काम आ चुके हैं.
मोदी की प्रशंसक
रोज़नामा दुनिया का संपादकीय है- गंदे पानी से बर्फ़ की तैयारी. अख़बार कहता है कि गर्मी के मौसम में हर आदमी प्यास बुझाने के लिए ठंडे पानी की तरफ लपकता है लेकिन बहुत से लोगों के पास फ्रिज की सुविधा नहीं है, ऐसे में उन्हें बर्फ़ का ही सहारा है. इसके अलावा कुल्फी और इस तरह की अन्य चीज़ें भी बर्फ़ के बिना अधूरी हैं.
लेकिन अख़बार कहता है कि ऐसे में ये ख़बरें बेहद चिंताजनक हैं कि बर्फ बनाने के लिए जो पानी इस्तेमाल हो रहा है वो 100 फ़ीसदी गंदा होता है, जिससे लोग बीमारियों का शिकार होने लगे हैं.
वहीं नवाए वक़्त ने अपने संपादकीय में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख राहील शरीफ़ के इस बयान की चर्चा है कि सेना लोकतंत्र की स्थिरता और संविधान के पालन के लिए दृढ़ संकल्प है. हाल के दिनों में चुनी हुई सरकार और सेना के बीच मतभेदों की ख़बरों के कारण पाकिस्तान के सेना प्रमुख के इस बयान को ख़ासा अहम माना जा रहा है.
इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव के इस बयान को कई पाकिस्तानी अख़बारों ने अपने पहले पन्ने पर जगह दी कि नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए.
जबकि रोज़नामा दुनिया में अभिनेत्री प्रीति जिंटा का वो बयान छपा है जिसमें उन्होंने ख़ुद को नरेंद्र मोदी की बड़ी प्रशंसक बताया है.
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